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06 सितंबर को है राधाष्टमी, जानिए व्रत और पूजा की पूरी विधि…

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री राधा जी का जन्म हुआ था। उनके जन्म के उपलक्ष्य में हर वर्ष अष्टमी तिथि को राधाष्टमी या प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इय वर्ष राधाष्टमी 06 सितंबर दिन शुक्रवार को है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, ताकि उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो, घर में सुख-समृद्धि, शांति और संतान सुख मिले।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से बड़ी थीं। राधा का प्रकाट्य भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को और श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। राधाष्टमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।

राधाष्टमी व्रत एवं पूजा विधि

स्नान आदि के उपरांत मंडप के भीतर मंडल बनाकर उसके मध्य भाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें। उसके ऊपर तांबे का पात्र रखें और उस पात्र के ऊपर दो वस्त्रों से ढकी हुई श्री राधा या राधाकृष्ण की सुंदर प्रतिमा स्थापित करें।

फिर वाद्यसंयुक्त षोडशोपचार द्वारा स्नेह पूर्ण हृदय से उनकी पूजा करें। पूजा ठीक मध्याह्न में ही करनी चाहिए। इस दिन उपवास करें या एकभुक्त व्रत करें। फिर दूसरे दिन भक्ति पूर्वक सुवासिनी स्त्रियों को भोजन कराकर आचार्य को प्रतिमा दान करें। फिर स्वयं भी भोजन करें। इस प्रकार इस व्रत को समाप्त करना चाहिए।

विधिपूर्वक राधाष्टमी व्रत करने से मनुष्य व्रज का रहस्य जान लेता है तथा राधा परिकरों में निवास करता है।

दुर्वाष्टमी

इसी दिन दुर्वाष्टमी भी मनाई जाती है। इस दिन उमा सहित शिव का षोडशोपचार पूजन करके सात प्रकार के फल, पुष्प, दूर्वा और नैवेद्य अर्पण कर व्रत करें। ऐसा करने से धनार्थी, पुत्रार्थी या कामार्थी आदि को धन, पुत्र और काम आदि प्राप्त होते हैं।

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