नई दिल्ली : चेन्नई के एक कॉपरेटिव बैंक ने व्यक्ति की ज्वैलरी सिर्फ इसलिए नहीं वापस लौटाई क्योंकि उसके लोन एक रुपया देना था। इससे पता चलता है कि बैंक सिर्फ आम लोगों को ही निशाना बनाता है जबकि बड़े लोगों से सामने बैंकों की भी बोलती बंद हो जाती है। बैंक ने सी. कुमार को उसका 138 ग्राम सोना लौटाने से मना कर दिया है। अब कुमार ने इंसाफ के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
कुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने पिछले पांच साल में बैंक से करीब 3.50 लाख रुपए का लोन लिया और उसे चुकाया भी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में 2 हफ्ते में अथॉरिटी से जवाब मांगा है। कुमार ने बताया कि 6 अप्रैल 2010 को उसने बैंक से 1.23 लाख रुपए का लोन लिया, इसके उसने 131 ग्राम सोना गिरवी रखा। इसी दौरान उसने फिर 1.65 लाख का लोन लिया और कुल सोना 138 ग्राम बैंक को दिया। लेकिन 2011 में उसने अपना पहला लोन पूरा कर दिया था जिसके मुताबिक, 131 ग्राम सोना वापस मिला। जल्द ही उसने अन्य लोन भी पूरी तरह से चुका दिए और जब बैंक से अपना सोना वापस लेना चाहा तो बैंक ने कहा कि अभी उसके हर लोन में 1-1 रुपया बाकी है इसलिए सोना वापस नहीं मिल सकता।