1.72 लाख शिक्षा मित्रों के भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तोडा परंपरा को
नई दिल्ली : यह कोई सुप्रीम कोर्ट की समरकालीन पीठ नहीं थी, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के 1.72 लाख शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया और अदालती समय सीमा और लीक से हटकर शाम 4.10 बजे के बाद इस मामले की सुनवाई शुरू की जो 6 बजे तक चली. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.
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उल्लेखनीय है कि शिक्षामित्रों की ओर से पेश सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, सहित अन्य वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं. वे अधर में हैं. इसलिए मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को जारी रखा जाए. इसीके साथ संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करने की मांग की गई.
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बता दें कि जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने बुधवार को सुनवाई की.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी पक्षकार लिखित रूप से अपना पक्ष रखना चाहता है वह एक हफ्ते के भीतर रख सकते हैं.सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.बता दें कि 12 सिंतबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.70 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.