देश के 169 शहरों में 2030 तक दौड़ेंगी 10 हजार ई-बसें, परिवहन सुविधा के विस्तार पर होगी चर्चा
नई दिल्ली : वर्ष 2030 तक देश के 169 शहरों में ई-बसें दौड़ेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना के तहत कुल 57 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। इसके अलावा मेट्रो और ईवी चार्जिंग स्टेशन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के विशेष अधिकारी जयदीप ने बृहस्पतिवार को प्रेसवार्ता में यह जानकारी देते हुए बताया कि इसकी कार्ययोजना शुक्रवार से शुरू होने वाले तीन दिवसीय 16वें शहरी गतिशीलता भारत (अर्बन मोबिलिटी इंडिया-यूएमआई) सम्मेलन में तैयार होगी। केंद्रीय आवासन व शहरी कार्य मंत्रालय और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में कुल 16 एजेंडे रखे जाएंगें, जिन पर अधिकारी और विशेषज्ञ जमीनी स्थितियों का आकलन करते हुए वैज्ञानिक तथ्यों के साथ कार्ययोजना को अंतिम रूप देंगे।
दिल्ली कैंट में परेड रोड स्थित मानेकशॉ केंद्र होने वाले सम्मेलन की थीम एकीकृत और लचीला शहरी परिवहन है। इसके तहत शहरों में कुशल, उच्च गुणवत्ता, एकीकृत और लचीली शहरी परिवहन प्रणालियों के डिजाइन व कार्यान्वयन पर जोर रहेगा। जलवायु परिवर्तन और शहरी परिवहन प्रणाली पर नवाचारों के कारण परिवहन विकल्पों की एक विस्तृत शृंखला पर चर्चा की जाएगी। इससे यात्रियों के लिए विकल्प उपलब्ध होंगे। योजना स्तर से ही परिवहन प्रणालियों के लचीलेपन को मजबूत करना समय की मांग है। इसका केंद्रीय आवासन व शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी शुभारंभ करेंगे।
कुल 16 विषयों पर तकनीकी सत्र और विशेषज्ञों से संवाद किया जाएगा। इसमें प्राकृतिक आपदा, बाढ़ और अन्य आपदाओं के समय शहरी परिवहन की विषय पर चर्चा करने के लिए शहरी परिवहन प्रणालियों में लचीलापन मेट्रो सत्र का आयोजन होगा। इस दौरान मेट्रो परियोजनाओं में प्रौद्योगिकी का एकीकरण, अर्बन मोबिलिटी इंडिया इनोवेशन चैलेंज शहरी गतिशीलता प्रणालियों में सुधार व पैराट्रांजिट डिमांड को पूरा करने के लिए वैकल्पिक गतिशीलता समाधान समेत कई विषयों पर चर्चा की जाएगी।
मंत्रालय ने बड़े और मध्यम आकार के शहरों में संगठित सिटी बस सेवाएं प्रदान करने के लिए हाल ही में पीएम ई-बस सेवा योजना शुरू की है। सम्मलेन में चर्चा इस बात पर केंद्रित होगी कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जीएचजी उत्सर्जन को कम करने के लिए शहरों में ई-बसों को कैसे लोकप्रिय बनाया जाए। ई-मोबिलिटी कार्रवाई के लिए संस्थागत और शासन ढांचे में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत ढांचे और सरकार की उपलब्धता व ई-मोबिलिटी की सफलता के लिए इसे प्रभावी ढंग से कैसे जुटाया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी।
नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) के साथ देश में मोबिलिटी ईको सिस्टम को एकजुट किया जाना है। सत्र में सभी सार्वजनिक परिवहन और मध्यवर्ती सार्वजनिक परिवहन (IPT) मोड जैसे मेट्रो, बस में एनसीएमसी के उपयोग पर जोर रहेगा। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए टैक्सी, ऑटो और अन्य सार्वजनिक परिवहन जिसमें विभिन्न मेट्रो और सार्वजनिक परिवहन एजेंसियों द्वारा एनसीएमसी के उपयोग में वर्तमान में आने वाले मुद्दों व चुनौतियों पर भी चर्चा की जाएगी। सत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कंप्यूटर का उपयोग कर सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में डिजिटलीकरण को बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर केंद्रित होगा।
देश में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी लाने के लिए आईटीईएस मार्ग के माध्यम से नवाचार और सहयोग दिया जाएगा। किसी शहर में परिवहन प्रणाली के हिस्से के रूप में ई-वाहनों के विकास को सुविधाजनक बनाने और तेज करने के लिए चार्जिंग बुनियादी ढांचा पूर्व-आवश्यकता व महत्वपूर्ण है। यह सत्र बड़े पैमाने पर चार्जिंग बुनियादी ढांचे में सुधार के दृष्टिकोण और तंत्र पर प्रकाश डालेगा।
जयदीप, विशेष अधिकारी, केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में निर्बाध सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सम्मेलन में विशेषज्ञ राय रखेंगे और जो प्रणाली उचित होगी उसे कार्य में लाया जाएगा। वाहनों के बजाय लोगों को ले जाने के उद्देश्य के साथ तालमेल स्थापित करना है। अनुज दयाल, प्रधान अधिशासी निदेशक, डीएमआरसी का कहना है कि मेट्रो फेज चार का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसमें नई तकनीक को यात्रियों की सुविधा के लिए लाया जाएगा।