प्रदेश के 10 लाख किसानों के लिए सरकार नई सौर ऊर्जा योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत किसान खेती के साथ-साथ बिजली का उत्पादन कर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं। केंद्र सरकार का किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाअभियान (कुसुम) का सबसे आकर्षक पक्ष यह है कि इसमें संयंत्र लगाने के लिए किसानों को 80 फीसदी तक अनुदान मिलेगा। शेष 20 प्रतिशत धनराशि भी सरकार बैंकों से ऋण के माध्यम से दिलाएगी। किसान इस योजना के तहत खेती के साथ-साथ बिजली का उत्पादन भी कर सकते हैं।
वे खेती वाली भूमि पर खंभों पर प्लांट खड़ा करके संयंत्र लगा सकते हैं। इससे वे संयंत्र के नीचे वाली भूमि पर खेती भी कर सकते हैं। वहीं, योजना में सिंचाई, कृषि, उद्यान, यूपीसीएल, राजस्व और ऊर्जा विभाग की किसी न किसी रूप में भूमिका है। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि योजना की नोडल एजेंसी कौन होगी। शासन स्तर पर इस पर जल्द निर्णय होगा। मुख्यमंत्री इस योजना की शुरुआत कर सकते हैं।
बंजर और उजाड़ भूमि पर संयंत्र
योजना के तहत 500 किलोवाट से दो मेगावाट तक का प्रोजेक्ट लगाने का प्रावधान है। इसके लिए किसान अपनी उस भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं, जहां वे खेती नहीं कर पा रहे हैं या फिर वो उजाड़ है। इस प्रोजेक्ट की खास बात ये है कि बिजली की जो दरें नियामक आयोग तय करेगा, उत्तराखंड पावर कारपोरेशन को उसी दर पर किसान से बिजली खरीदनी होगी।
दरों से नुकसान के अंतर की भरपाई केंद्र सरकार 40 पैसे प्रति यूनिट की दर से प्रोत्साहन राशि के तौर पर यूपीसीएल को करेगी। यदि किसान प्रोजेक्ट लगाने के लिए अपनी भूमि लीज पर देता है तो लीज लेने वाले को प्रोजेक्ट से होने वाली आय से सबसे पहले किसान को लीज का किराया देना होगा।
डीजल पंपों को करें बाय-बाय
हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल की तराई और देहरादून के कुछ इलाकों में किसान 7.50 हार्स पावर तक के डीजल पंपों से खेतों में सिंचाई करते हैं। योजना के तहत पंपों के संचालन में डीजल को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से सौर ऊर्जा संयंत्र का विकल्प रखा गया है। किसान 80 फीसदी अनुदान के सहयोग से यह संयंत्र लगा सकते हैं। दूसरा ऑफर उन किसानों के लिए है जो बिजली से पंपों का संचालन कर सकते हैं।
वे अपने पंपों को सौर ऊर्जा से संचालित कर सकते हैं। यूपीसीएल नेट मीटरिंग के जरिये सरप्लस बिजली का भुगतान करेगा। मसलन, रात में किसान यूपीसीएल की बिजली से पंप चलाकर खेतों को सींचेंगे तो दिन में सौर ऊर्जा संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली यूपीसीएल के ग्रिड में भेज देंगे। ऐसे में किसानों के बिजली के बिल में कमी आएगी और सरप्लस होने पर उनकी कमाई हो सकेगी।
कुसुम योजना प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने में मददगार हो सकती है। उरेडा ने पूरी योजना का अध्ययन कर लिया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जल्द बैठक होगी, जिसमें योजना की नोडल एजेंसी का चयन होगा।
– एके त्यागी, मुख्य परियोजना अधिकारी, उरेडा