ज्ञान भंडार

100 साल बाद है ऐसा करवाचौथ, 4 शुभयोग हैं एक साथ, ऐसे करें पूजा…

img_20161017035554

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाने वाला करवा चौथ का व्रत 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 100 वर्षों में पहली बार करवा चौथ पर 4 शुभ संयोग बन रहे हैं। इस बार यह पर्व बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में आ रहा है।

 ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदय होगा और अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा वहीं बुध अपनी कन्या राशि में रहेगा। इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्णजी की रोहिणी नक्षत्र भी है। बुधवार गणेशजी और कृष्णजी दोनों का दिन है।
ये अद्भुत संयोग करवा चौथ के व्रत को और भी शुभ फलदायी बना रहा है। इसे करक करवा चौथ भी कहते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार अद्भुत संयोग तो कई बार बनते है लेकिन इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्ण जी का रोहिणी नक्षत्र भी है। यह अद्भुत संयोग करवाचौथ व्रत पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख प्रदान करेगा। करवा चौथ का व्रत अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिए महिलाएं करेंगी।
रोहिणी नक्षत्र में होगा चंद्रोदय
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन सुबह से चतुर्थी रहेगी। करवा चौथ महिलाओं के लिए इस बार खास रहेगी, चंद्रोदय रात 8.55 पर रोहिणी नक्षत्र में होगा। शास्त्रों के अनुसार ज्योतिषशास्त्र रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होने से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा और घर में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा से स्त्रियों के रोग एवं शोक दूर होंगे। इस दिन किए गए शुभ कामों का पूरा फल मिलेगा।
इस बार करवा चौथ पर ग्रह दशा, नक्षत्र, वार तीनों के अद्भुत संयोग से महासंयोग बन रहा है। इस दिन व्रत करने से महिलाओं को 100 व्रतों का वरदान मिलेगा। गणेश जी की पूजा का भी विशेष महत्व रहेगा। यही नहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भी बुध समृद्धि का परिचायक है।
 व्रत की विधि
सुबह स्नान कर अपने पति की लंबी आयु, बेहतर स्वास्थ्य व अखंड सौभाग्य के लिए संकल्प लें। बिना कुछ खाए-पिए रहें। शाम को पूजन स्थान पर एक साफ लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय व भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें। पूजन स्थान पर मिट्टी का करवा भी रखें। इस करवे में थोड़ा धान व एक रुपए का सिक्का रखें। इसके ऊपर लाल कपड़ा रखें।
इसके बाद सभी देवताओं का पूजन कर लड्डुओं का भोग लगाएं। भगवान श्रीगणेश की आरती करें। जब चंद्रमा उदय हो जाए तो चंद्रमा का पूजन कर अर्घ दें। इसके बाद अपने पति के चरण छुएं व उनके मस्तक पर तिलक लगाएं। पति की माता अर्थात अपनी सास को अपना करवा भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि सास न हों तो परिवार की किसी अन्य सुहागिन महिला को करवा भेंट करें।
 

Related Articles

Back to top button