चंडीगढ़ : नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के नाम पर अवैध धंधा करने वालों के खिलाफ विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की मुहिम के बाद प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। समस्या से निपटने के लिए मनोहर सरकार प्रदेश भर में नशा मुक्ति केंद्र खोलेगी। संत महात्माओं को भी ऐसे केंद्रों के संचालन का जिम्मा सौंपा जाएगा ताकि वे युवाओं का मार्गदर्शन कर उन्हें जीवन में सही मार्ग पर लाएं। विस अध्यक्ष ने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त किया है। गुप्ता ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश भर में फैला नशाखोरों का तंत्र ध्वस्त होगा और इस समस्या में जकड़े युवाओं का प्रभावी ढंग से पुनर्वास हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के लाखों परिवार लाभान्वित होंगे।
गत दिनों विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के संज्ञान में आया है कि जिले में चल रहे निजी नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों की गतिविधियां ठीक नहीं है। उन्हें शिकायत मिली थी कि यहां नशा छुड़ाने के नाम पर युवाओं को नशीले पदार्थ उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने गत 3 मई को पिंजौर के गांव मड़ावाला में चल रहे नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र पर छापामारी की। छापामारी के दौरान फर्जी रिकॉर्ड समेत अनेक प्रकार की अनियमितताएं मिलीं। इतना ही नहीं इस केंद्र का लाइसेंस भी छह माह पहले खत्म हो चुका था। विधान सभा अध्यक्ष द्वारा किए गए इस औचक निरीक्षण के बाद आरोपित डॉ. विनीत यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
इसके बाद 5 मई को विधान सभा अध्यक्ष के प्रयास से बरवाला, मौली और बतौड़ स्थित अवैध पुर्नवास केंद्रों से भी 43 मरीजों को रिहा करवाया गया। इन मरीजों को बुरी हालत में रखा हुआ था। 6 मई को विधान सभा अध्यक्ष ने सेक्टर 6 स्थित सिविल अस्पताल पहुंच उपचाराधीन युवकों से मुलाकात की थी।
बाद में विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मुलाकात कर मामले की गंभीरता से अवगत करवाया। उन्होंने कहा है कि इन मामलों की तह तक जाना चाहिए और इनमें संलिप्त सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि इन केंद्र संचालकों को किसका संरक्षण मिल रहा है।
विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि पंचकूला में 100 बिस्तर का मनोचिकित्सा एवं नशा मुक्ति केंद्र खुलेगा। अब यहां पुरुष और महिला वार्ड स्थापित हो सकेंगे। इससे यहां नशे की दलदल में फंसे युवाओं का उपचार हो सकेगा और उन्हें प्राइवेट केंद्रों के हाथों ठगी का शिकार नहीं होना पड़ेगा। फिलहाल पंचकूला के सिविल अस्पताल में नशा मुक्ति के लिए 10 बिस्तरों की ही व्यवस्था है, जबकि इलाज करवाने के लिए सीमावर्ती पंजाब के इलाकों से भी रोगी आते हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश भर में बड़ी से संख्या में निजी नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खुले हुए हैं। ये केंद्र संचालक नशामुक्ति एवं पुनर्वास के लिए समाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग से लाइसेंस लेते हैं, जबकि रोगी की मनोचिकित्सा करने के लिए स्वास्थ्य सेवा विभाग के महानिदेशक की ओर से लाइसेंस दिया जाता है।
गौरतलब है कि विधान सभा अध्यक्ष ने पंचकूला में अपने 7 सरोकारों की मुहिम के तहत जिले को नशा मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया है। इसके लिए वे पंचकूला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समय-समय पर बैठक कर रणनीति की समीक्षा भी करते हैं।