उत्तराखंड

केदारनाथ में फंसे 10374 लोगों को लाया गया वापस, 20000 हुए रेस्क्यू

देहरादूनः उत्तराखंड में 31 जुलाई को अतिवृष्टि के कारण अस्त व्यस्त हुई केदारनाथ और यात्रा मार्ग पर फंसे लोगों को सुरक्षित वापस लाने का काम युद्व स्तर पर रविवार को भी जारी रहा। रविवार सुबह से शाम पांच बजे तक कुल 10374 लोगों को वापस लाया गया है। अभी तक कुल 19,473 व्यक्तियों को विभिन्न माध्यमों से विपरीत मौसम के बावजूद सुरक्षित स्थानों पर लाया जा चुका है।

आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि 31 जुलाई को अतिवृष्टि से अवस्थापना को भारी क्षति पहुंची है। उन्होंने बताया कि केदारनाथ तथा रास्ते में ऊपर की और लगातार घने बादल छाए है। इस कारण रेस्क्यू कार्य में लगातार व्यवधान हो रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना द्वारा उपलब्ध करवाया चिनूक हैलीकॉप्टर मौसम खराब होने के कारण, अभी तक एक भी उड़ान नहीं भर पाया है। एमआई- 17 हैलीकॉप्टर द्वारा खराब मौसम के कारण अभी तक केवल तीन उड़ान भरी जा सकी है, तथा केवल 60 लोगों को रेस्क्यू किया जा सका है। उन्होंने बताया कि ऐसे में राज्य सरकार द्वारा छोटे हैलीकॉप्टरों से रेस्क्यू का कार्य किया जा रहा है।

सुमन ने बताया कि लगभग 400 लोगों को केदारनाथ जी से लिंचौली तक पैदल लाकर, लिंचौली से इनको हैलीकॉप्टर के माध्यम से चारधाम हैलीपेड, सिरसी हैलीपेड आदि स्थानों पर लाया गया है। वर्तमान में रेस्क्यू कार्य हेतु 05 हैलीकॉप्टर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि लिंचौली तथा भीमबली से लगभग 560 लोगों को तथा केदारनाथ से 80 लोगों को इस प्रकार कुल 640 लोगों का रेस्क्यू किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार रविवार शाम तक केदारनाथ धाम से 138 लोगों को लिंचौली और भीमबली से 2409 लोगों को तथा चीड़बासा (गौरीकुंड) से 75 लोगों को अर्थात, कुल 2622 लोगों को एयरलिफट कर, चारधाम हैलीपेड, सिरसी हैलीपेड आदि स्थानों पर लाया गया है।

सचिव के अनुसार, भीमबली तथा लिंचौली से पैदल मार्ग से अब तक कुल 567 लोगों को चौमासी कालीमठ तक लाया गया है। इसी प्रकार, गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक कुल 7185 लोगों को वापस लाया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में गौरीकुंड से सभी को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। गौरीकुंड में कोई भी यात्री शेष नहीं है। वर्तमान में वहां पर रहने वाले स्थानीय निवासीगण, दुकानदार, डोली पालकी संचालक, घोड़े खच्चर संचालक आदि रह रहें हैं। उन्होंने बताया कि भीमबली तथा लिंचौली से भी अधिकांश यात्रियों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया है। वर्तमान में लिंचौली में लगभग 50 यात्री रुके है।

सुमन के अनुसार, वर्तमान में केदारनाथ धाम में लगभग 350 यात्री रुके हुए हैं। इनके अलावा, लगभग तीर्थ पुरोहित, स्थानीय दुकानदार, स्थानीय निवासी, पालकी डोली संचालक, घोड़े खच्चर संचालक आदि भी है। उन्होंने बताया कि जो भी लोग नींचे आना चाहते हैं, उनको भी आवश्यकतानुसार रेस्क्यू किए जाने के मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि सभी आवश्यक स्थानों पर खाद्य सामग्री की लगातार पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है। सचिव ने बताया कि जिन लोगों से उनके परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा है, उनकी खोजबीन हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शनिवार को गौरीकुण्ड में बीएसएनएल की दूरसंचार सेवा बहाल कर दी गई है। जिन लोगों से संपर्क नहीं होने की बात की जा रही थी, पुलिस द्वारा ऐसे लोगों से संपर्क करने का प्रयास किया गया। उन्होंने बताया कि 03 जुलाई यानी शनिवार को पुलिस द्वारा संपर्क किए जाने पर अधिकांश लोगों से संपर्क हो गया है।

पुलिस द्वारा लगातार अन्य लोगों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का यात्रा करने वाले उसके परिजनों से संपर्क नहीं हो पाया है, वह जिला प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन द्वारा जारी किए गए दूरभाष नम्बरों पर संपर्क कर अपने परिजनों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह नंबर इस प्रकार हैं। हैल्पलाइन नं0- लैंडलाईन 01364.233727, 297878, 297879, मोबाइल 7579257572, 8958757335, 7579104738।

सुमन ने बताया कि यदि अभी भी कुछ लोग ऐसे पाए जाते हैं, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है तो उसका एक कारण यह हो सकता है कि वह कहीं रास्ते में हो अथवा उनका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया हो। उन्होंने बताया कि फिर भी एहतियात के तौर पर मुख्यमंत्री के निर्देश के क्रम में, गौरीकुंड से केदारनाथ यात्रा मार्ग पर वृहद् स्तर पर खोज-बीन की जा रही है। खोज-बचाव कार्य में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, प्रशासन तथा यात्रा मैनेजमेंट टास्कफोर्स के लोगों को लगाया गया है। इनके द्वारा लगातार खोजबीन की जा रही है। इस कार्य हेतु स्निफर डॉग की भी मदद ली जा रही है।

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