105 साल की उम्र में साइक्लिंग का विश्व रिकार्ड
हौसले और जज्बे की कोई सीमा नहीं होती। अगर इंसान चाहे तो खुद को किसी भी क्षमता से ऊपर उठा सकता है। 105 साल की उम्र में लगातार एक घंटे साइकिल चलाकर जर्मनी के रॉबर्ट मारचंद ने यह साबित कर दिया। उन्होंने 22.547 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। पेरिस के सेंट क्विेंटिन एन वेलिंस के वेलेड्रोम में बुधवार को रॉबर्ट अपना जज्बा दिखाने उतरे। सैकड़ों समर्थकों की भीड़ में उन्होंने साइकिल के पैडल पर पैर रखे और लगातार एक घंटे तक 22.547 किलोमीटर साइकिल चलाकर सबसे अधिक उम्र में साइकिल चलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। रॉबर्ट ने जो दमखम दिखाया है दुनिया में आज तक कोई भी इस उम्र में यह जोखिम उठाने को तैयार नहीं हुआ है।
70 की उम्र में पहली बार रेस में हिस्सा लिया
26 नवंबर, 1911 को पैदा हुए रॉबर्ट मारचंद की पत्नी 1943 में लापता हो गईं। कोई बच्चा नहीं होने की वजह से वह अकेले पड़ गए, लेकिन उन्होंने निराशा में डूबने के बजाय साइकिल से प्यार करना शुरू कर दिया। 1992 में 70 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार पेरिस से मॉस्को के बीच रेस में हिस्सा लिया। 2010 में 24.25 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्विटजरलैंड में रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद 2014 में 26.9 किलोमीटर साइकिल एक घंटे में चलाकर अपने ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा।
कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विद्रोही रह चुके हैं
रॉबर्ट को हरफनमौला कहना ज्यादा सही होगा। कम्युनिस्ट पार्टी के विद्रोही रहने के अलावा वह मुर्गी फॉर्म चला चुके हैं। घर-घर सामान पहुंचाने का काम कर चुके हैं। इसके अलावा जूते बनाने, लकड़ी काटने, जिम्नास्टिक ट्रेनर, माली, वाइन विक्रेता भी रह चुके हैं।
लौकी के रस से मिलती ऊर्जा
105 साल की उम्र में भी रॉबर्ट मारचंद अपनी फिटनेस का राज बताते हैं कि वह हर रोज लौकी के जूस में थोड़ा सा शहद डालकर पीते हैं। साथ ही समय-समय पर थोड़ी वाइन और हफ्ते में एक बार से ज्यादा मांस नहीं खाते। वह 900 यूरो (करीब 64 हजार रुपये) प्रति माह पर आज भी अपना जीवन बिताते हैं।
रॉबर्ट के नाम पर रखा गया रास्ते का नाम
1992 में उनकी पहली ही रेस में 911 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक रास्ते का नाम उनके नाम पर रखा गया। हालांकि रेस के दौरान चोट लगने की वजह से उन्हें यह सूचना काफी बाद में मिली।
‘मैं चैंपियन नहीं हूं। मैं सिर्फ यह साबित करना चाहता हूं कि 100 साल की उम्र में सिर्फ आराम कुर्सी पर बैठकर ताश खेलना ही विकल्प नहीं है। इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है। मैं भी बाकी लोगों की तरह आम इंसान हूं। अगर मैं यह कर सकता हूं तो कोई भी कर सकता है।’ -रॉबर्ट मारचंद