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107 एकड़ में अरबों का खर्च और बर्बाद होती गुलाबी दुनिया

29-1464499016-ambedkar-park-lucknow-5 ambedkar-park-lucknow-1-29-1464498764 (1)29-1464499023-ambedkar-park-lucknow-6 29-1464499037-ambedkar-park-lucknow-8गुलाबी पत्थरों से लखनऊ में बना अंबेडकर पार्क बसपा सुप्रीमों मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। दलित समुदाय भी इसे अपने उत्थान का प्रतीक मानता है। लोगों का कहना है ”कम से कम मायावती जी ने एक ऐसा स्थल बनवा दिया है, जिससे हमें गर्व की अनुभूति होती है।” पर वन इंडिया ने अपनी नजरों से अंबेडकर पार्क की हालत झांकने की कोशिश की। 29-1464499009-ambedkar-park-lucknow-4
और जो मिला वो हैरान कर देने वाला था। पेश है ये रिपोर्ट- ‘हजारों करोड़ का पार्क में अव्यवस्थाओं का अंबार’ पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दलितों के मसीहा माने जाने वाले सभी महापुरूषों को सम्मान देते हुए अंबेडकर पार्क का निर्माण कराया। हालांकि विरोधियों ने गुलाबी पत्थरों में लोगों का पैसा व्यर्थ करने के आरोप भी लगाए। इस पार्क में करीबन एक हजार करोड़ रूपए खर्च किए गए। लेकिन फिलवक्त पार्क की हालत बद्तर होती नजर आ रही है।

अंबेडकर पार्क में अंबेडकर स्तूप के ऊपर जाने के लिए बनी सीढ़ियों की रेलिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी है। मायावती की मूर्ति जिस स्थान पर स्थापित है, उसके पीछे निकास मार्ग पर शाम को लाइट की व्यवस्था भी नहीं है। कई बार अंधेरा होने की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। खोखली व्यवस्थाओं की पोल खोल अंबेडकर पार्क में प्रवेश करते ही लोगों का सामना कचरे और गंदगी से होता है। पूरे परिसर में सैकड़ों प्लास्टिक की खाली बोतलें फैली हुई हैं। दीवारों पर पान की पीक हैं। मूर्तियों पर काफी धूल जम चुकी है। विशालकाय हाथियों के शरीर खुरचे हुए हैं। दीवार पर पान की पीक आदि के दाग को छिपाने के लिए सफेदी की गई है लेकिन पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने की वजह से फिर से लोगों ने उसे गंदा कर दिया है। लिफ्ट के पास गंदगी का ढेर अंबेडकर स्तूप में लगी लिफ्ट बंद हैं। टूटा डिस्पले बोर्ड और स्विच से व्यवस्थाओं की ढ़ीलाहवाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन सबके इतर स्तूप के ऊपर जाने पर लिफ्ट के पास गंदगी एकत्र है। यहां तक कि खंभों के इर्द गिर्द लगी कई सारी लाइटें खराब हो चुकी हैं। लोगों की मानें तो बसपा सुप्रीमों के कार्यकाल के वक्त यहां ढ़ेर सारे लोग आते थे लेकिन अब लोगों की कतारें पहले की तर्ज पर नहीं लगती। लोगों से बातचीत अंबेडकर पार्क में अपने परिवार के साथ घूमने आए रविंद्र गौतम ने कहा कि एक तो यहां पर टिकट के लिए एक ही काउंटर खुला है, ऊपर से पार्क में अंदर जाने पर जब जगह गंदगी दिखती है तो वाकई काफी निराशा होती है कि इतने बड़े और सुंदर पार्क में इस तरह की अव्यवस्थाएं जो कि पार्क का जीवन खत्म करती जा रही हैं। सुधार की जरूरत है। जो लोग यहां घूमने आते हैं उन्हें भी ख्याल रखना होगा कि पार्क को गंदा न करें। अपने बच्चों के साथ आईं अमृता ठाकुर का कहना था कि पार्क में लगे फव्वारे वगैरह खराब होने के कारण पार्क में देखने जैसा कुछ भी नहीं रहा। इसी वजह से भीड़ भी पहले की तर्ज पर नहीं होती। जिम्मेवार संस्था को इसे ठीक कराना चाहिए। करोड़ों की लागत से बनी ये गुलाबी दुनिया जिसमें लोगों के पैसे को बेधड़क बहाया गया है। विकास की उम्मीदों को 107 एकड़ जमीन के नीचे दफन कर दिया गया, कम से कम उसके ही देखरेख सलीके से होती रहे। जरूरत है।

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