आतंकियों हमले में घायल हुआ पुलिस विभाग का एक अफसर 11 साल से अपने शरीर के अंदर एक गोली लेकर ड्यूटी कर रहा है। अगर इस गोली को निकालने का प्रयास किया गया। तो उसकी जान भी जा सकती है। इसलिए डाक्टरों ने गोली नहीं निकाली। जब दर्द होता है तो दवा खाकर आराम करते है, लेकिन अपनी ड्यूटी को नहीं छोड़ते। यहां बात हो रही है एसएसपी युगल मनहास की। उन्हें बहादुरी से ड्यूटी करने के लिए इस बार स्वतंत्रता दिवस पर शेर-ए-कश्मीर मेडल फॉर गेलेंटरी सर्विस से सम्मानित किया जाएगा। वह पहले भी राष्ट्रपति मेडल के अलावा कई मेडल से नवाजे जा चुके हैं।
युगल मनहास इससे पहले किश्तवाड़ एसएसपी रह चुके हैं। वह आतंकियों से मुकाबला करने वाले आपरेशन ग्रुप एसओजी में तैनात रह चुके हैं। 23 मार्च 2007 को वह पुंछ के मेंढर में एसडीपीओ तैनात थे। उस समय आतंकी हमला हुआ। वह अपने घर से आफिस के लिए निकले थे। करीब साढे़ नौ बजे आफिस के पास ही घात लगाकर बैठे आतंकियों ने हमला कर दिया। उनकी जिप्सी पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। उन्हें एके 56 राइफल की पांच गोलियां बाजू छाती तथा टांगों को लगी। उनके चालक जहूर अहमद को भी एक गोली बाजू पर लगी। आतंकी उन्हें अपनी तरफ से मार कर भाग गए।
हमले के बाद जब पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो युगल मनहास की सांसे चल रही थीं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उसके बाद हेलीकाप्टर से जम्मू के मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। डाक्टरों ने उनकी चार गोलियां निकाल दीं। खून काफी बह गया था। इसलिए काफी खून भी उन्हें चढ़ाया गया, लेकिन एक गोली को डाक्टर नहीं निकाल पाए। क्योंकि गोली छाती की पस्लियों के बीच मसल में फंसी हुई थी। विशेष इलाज के लिए हेलीकाप्टर से ही दिल्ली के एम्स में उन्हें रेफर किया गया। वहां पर भी उनका इलाज चला, लेकिन डाक्टर गोली नहीं निकाल पाए। डाक्टरों की तरफ से तर्क दिया गया कि गोली ऐसी जगह फंसी है जिसे निकालने का प्रयास किया गया तो जान भी जा सकती है। ठीक होने के बाद उन्होंने फिर से ड्यूटी ज्वाइन की। आज भी वह शरीर में गोली लेकर ड्यूटी कर रहे हैं। शरीर के अंदर गोली होने के कारण कई बार दर्द होता है, जिसके लिए दवा खानी पड़ती है।
प्लान करके किया गया था हमला
जिस जगह उस समय युगल मनहास तैनात थे। वहां आतंकियों का गढ़ था। मेंढर ऐसा इलाका था जहां आतंकियों की काफी मौजूदगी थी। आतंकियों के खिलाफ आपरेशन में ज्यादा भाग लेने के कारण ही उन्हें निशाना बनाया गया।
सुंदरबनी आपरेशन में अहम रोल निभाया
इसी साल मार्च में सुंदरबनी में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली। जिले का एसएसपी होने के कारण मन्हास ने खुद आपरेशन संभाला, और सबसे आगे चले। दिन भर चले आपरेशन में चार आतंकियों को मार गिराया गया था।
100 से अधिक आतंकी मारे
युगल मनहास विभाग में बतौर डीएसपी भर्ती हुए। शुरू से ही उन्हें आतंकग्रस्त इलाकों में लगाया गया। वह मूलरूप से डोडा जिले के रहने वाले हैं। अभी तक करीब 100 आतंकियों को मारा है। खुद 30 से अधिक आपरेशनों में लीड की है।
शेर-ए-कश्मीर पुलिस मेडल से किए गए सम्मानित
इस साल स्वतंत्रता दिवस पर एसएसपी को राज्य सरकार ने उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए शेर-ए-कश्मीर पुलिस मेडल फॉर गेलेंटरी और मेरिटोरियस से सम्मानित किया जा रहा है।