दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
उत्तरकाशी। एक ओर पूरे देश में दीपावली की धूम है तो उत्तराखंड के गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सन्नाटा पसर गया है। मंदिर के तीर्थ पुरोहित शीतकाल के लिए कपाट बंद करने की तैयारी में जुटे हैं। गंगा के मायके मुखबा और यमुना के खरसाली में बेटी की अगवानी की तैयारियां चल रही हैं। 12 नवंबर को गंगोत्री और 13 को यमुनोत्री मंदिर के कपाट पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बढ़ती ठंड और त्यौहार दोनों के ही कारण धाम में श्रद्धालु नहीं आ रहे। यात्रा कारोबारी पहले ही दुकानें समेट कर लौट चुके हैं, और अब तीर्थ पुरोहित भी शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट बंद करने की तैयारियां कर रहे हैं। दीपावली के अगले दिन यानी गुरुवार 12 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद कर गंगा जी की भोग मूर्ति को शीतकालीन प्रवास के लिये मुखबा लाया जाएगा। वहीं भैया दूज पर 13 नवंबर को यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद कर यमुना जी की उत्सव मूर्ति को खरसाली लाया जाएगा। सर्दियों में श्रद्धालुओं के लिये मुखबा में गंगा और खरसाली में यमुना के दर्शन और पूजा-अर्चना की व्यवस्था रहेगी। सरकार की तरफ से अगर शीतकालीन यात्रा की कोशिशें हुईं, तो श्रद्धालु यहां पहुंचकर तीर्थाटन के साथ पर्यटन का दोहरा लाभ ले सकेंगे।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष मुकेश सेमवाल एवं सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि 12 नवंबर अन्नकूट के पावन पर्व पर दोपहर सवा एक बजे गंगा जी की भोग मूर्ति को मंदिर से बाहर लाया जाएगा। 1:25 बजे विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। यहां से डोली यात्रा के साथ गंगा जी को मुखबा ले जाया जाएगा। शीतकाल में गंगा जी के दर्शन एवं पूजा-अर्चना मुखबा में ही होगी। वहीं यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष पवन प्रकाश उनियाल और सहसचिव मनमोहन उनियाल ने बताया कि 13 नवंबर को भैया दूज के दिन सुबह खरसाली से यमुना के भाई समेश्वर देवता यमुना को विदा कराने यमुनोत्री जाएंगे। दोपहर 1:30 बजे यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद कर यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली लाया जाएगा। शीतकाल में यमुना जी के दर्शन एवं पूजा-अर्चना खरसाली में ही होगी।
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