करार कराना तो दूर हरियाणा के रूट से गुजरने के लिए वहां के शासन-प्रशासन से परमिट पर दस्तखत तक नहीं कराए गए। अधिकारियों की पूरी तैयारी के साथ न जाने की वजह से राज्य गठन के बाद यूपी से करार के संबंध में हुई 12 बैठकें विफल हो गईं।
मुख्यमंत्री हरीश रावत कई मरतबा विभाग के अफसरों को करार के बाबत सख्ती कर चुके हैं, फिर भी महकमा लचर रवैया अख्तियार किए हुए है। परिवहन विभाग कई सालों से हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से बसों की आवाजाही और रूट तय करने के संबंध में तैयारी कर रहा है, लेकिन अभी तक कागजी खानापूरी ही नहीं हो पाई है।
इन करारों को अमली जामा पहनाने के लिए परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को शासन ने नोडल अधिकारी बनाया है। हरियाणा की तरह यूपी, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के रूटों पर चल रहीं उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों को कभी भी खड़ा किया जा सकता है। शासन स्तर पर जो तैयारी की गई है, वह अभी भी अधूरी है
इनका है कहना
जहां प्रदेश की बसें जाती हैं उन प्रांतों से जल्दी ही करार किया जाएगा। अफसरों से कह दिया गया है कि सारी तैयारी कर लें। करार जल्दी से जल्दी किया जाएगा जिससे बसों के संचालन में किसी प्रकार की दिक्कत न आए।