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12 साल में साइन तक नहीं करा पाया उत्तराखंड रोडवेज

doon-isbt-55e6c35b5e398_exlstहरियाणा में बसें बंधक बनाए जाने के बाद बौखलाया परिवहन विभाग 12 साल में हरियाणा से एक काउंटर तक साइन नहीं करा पाया। प्रदेश से पंजाब जाने वाली बसें यूपी के जमाने के करार पर चलती रहीं।

करार कराना तो दूर हरियाणा के रूट से गुजरने के लिए वहां के शासन-प्रशासन से परमिट पर दस्तखत तक नहीं कराए गए। अधिकारियों की पूरी तैयारी के साथ न जाने की वजह से राज्य गठन के बाद यूपी से करार के संबंध में हुई 12 बैठकें विफल हो गईं।

मुख्यमंत्री हरीश रावत कई मरतबा विभाग के अफसरों को करार के बाबत सख्ती कर चुके हैं, फिर भी महकमा लचर रवैया अख्तियार किए हुए है। परिवहन विभाग कई सालों से हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से बसों की आवाजाही और रूट तय करने के संबंध में तैयारी कर रहा है, लेकिन अभी तक कागजी खानापूरी ही नहीं हो पाई है।

इन करारों को अमली जामा पहनाने के लिए परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को शासन ने नोडल अधिकारी बनाया है। हरियाणा की तरह यूपी, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के रूटों पर चल रहीं उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों को कभी भी खड़ा किया जा सकता है। शासन स्तर पर जो तैयारी की गई है, वह अभी भी अधूरी है

12 सालों में पांच मुख्यमंत्रियों ने उन प्रदेशों से करार करने के लिए कहा है जहां प्रदेश की बसें आती-जाती हैं। महकमा थोड़ी देर हरकत में आया और फिर ठंडा हो पाया। शासन के अधिकारियों की मानें तो राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब और हिमाचल से करार हो चुका है, बाकी प्रदेशों के साथ अक्तूबर और नवंबर में बैठक प्रस्तावित हैं। ढाई साल पहले पंजाब से हुए इस करार के पहले वर्ष 1983 के यूपी-पंजाब करार के सहारे प्रदेश से बसें संचालित की जा रही थीं।

इनका है कहना
जहां प्रदेश की बसें जाती हैं उन प्रांतों से जल्दी ही करार किया जाएगा। अफसरों से कह दिया गया है कि सारी तैयारी कर लें। करार जल्दी से जल्दी किया जाएगा जिससे बसों के संचालन में किसी प्रकार की दिक्कत न आए।

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