चमोली/देहरादून : देश में 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों में ज्योति रूप में भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं। रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 3553 मीटर (11654 फीट) की ऊंचाई पर मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर स्थित केदारनाथ धाम का देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में विशिष्ट स्थान है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है।
महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने केदारनाथ पहुंचे और भगवान शिव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव बैल के रूप में प्रकट हुए। तब से यहां बैल रूपी शिव के पृष्ठ भाग की पूजा होती आ रही है।
2013 की आपदा में केदारपुरी पूरी तरह तहस-नहस हो गई थी। सिवाय मंदिर के वहां कुछ भी नहीं बचा, लेकिन तेजी से हुए पुनर्निर्माण के चलते अब केदारपुरी पहले से भी खूबसूरत हो गई है। लगता ही नहीं कि आपदा ने यहां भारी तबाही मचाई होगी।
केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी. की चढ़ाई पैदल तय करनी पड़ती है। गौरतलब है कि केदारनाथ की यात्रा भी ऋषिकेश से शुरू होती है, लेकिन रुद्रप्रयाग से इसका मार्ग अलग हो जाता है। इस मार्ग पर ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के मध्य पड़ने वाले तीथरें के अलावा अगस्त्यमुनि में महर्षि अगस्त्य मंदिर, गुप्तकाशी में भगवान विश्र्वनाथ, कालीमठ में महाकाली, त्रियुगीनारायण में भगवान त्रियुगीनारायण और गौरीकुंड में मां गौरा माई के दर्शन भी श्रद्धालु करते हैं।