उत्तराखंड

उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का 13 वां दिन, जानिए कब क्या हुआ

धामी के नेतृत्व में फाइनल ऑपरेशन लाएगा खुशखबरी

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में हुआ हादसा कोई प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह मैन मेड खड़ी की हुई तबाही है। साढे़ चार किलोमीटर लंबी इस टनल NHIDCL की देखरेख में दो कंपनियां बना रही हैं। एंट्री प्वाइंट से नवयुगा कंपनी काम कर रही है, तो टेल साइट से गजा कंपनी सुरंग बना रही है। आपको क्रमवार बताते हैं कि इस पूरे महाऑपरेशन में क्या हुआ।

गंगोत्री और यमनोत्री धाम के बीच यमनोत्री हाईवे पर रॉडी टॉप में बनाई जा रही इस साढे़ चार किलोमीटर लंबी सुरंग से इन दोनों स्थानों के बीच 26 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। इससे 45 मिनट का समय भी बचेगा। ये टनल सिल्कयारा फ्रंट साइट से 2340 मीटर और टेल साइट से 1700 मीटर काटी जा चुकी है। दुर्घटना फ्रंट साइट से नवयुगा कंपनी के हिस्से में हुई।

निर्माणाधीन कंपनी ने बरती लापरवाही

निर्माणाधीन टनल में पहली जो लापरवाही बरती गई वो ये कि इसमें स्केप टनल नहीं बनाई गई। टनल के जिस साठ मीटर हिस्से में लूज फॉल हुआ, उस हिस्से में लाइनिंग का कार्य नहीं हुआ था। इस हिस्से में कई दिन से पानी की लीकेज और लूज गिर रहा था। लेकिन कंपनी ने ध्यान नहीं दिया। पूरी टनल में कहीं भी बायपॉस टनल नहीं बनाया गया था।

कंपनी को नहीं थी मजदूरों की सही संख्या की जानकारी

कंपनी की एक के बाद एक कई लापरवाही सामने आयीं। कंपनी के दो फोर मैन सहित 41 श्रमिक अभी भी अंदर फंसे हुए हैं। लेकिन कंपनी के पास कई दिन तक सटीक जानकारी नहीं थी कि उसके कितने श्रमिक अंदर हैं। 12 नवंबर की सुबह टनल में मलबा गिरा। कंपनी ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के पहले अलग-अलग आंकड़े दिए। कुछ घंटों बाद बताया गया कि चालीस श्रमिक फंसे हुए हैं। करीब पांच दिन बाद 17 नवंबर को जानकारी दी गई कि चालीस नहीं 41 श्रमिक फंसे हुए हैं।

अफसर दीवाली की छुट्टी पर थे

घटना के दिन कोई बड़ा अफसर मौके पर नहीं था। अधिकांश दीपावली की छुटटी पर थे। नतीजा कई घंटों तक दुर्घटना की गंभीरता का अनुमान नहीं लग पाया। शुरूआती दौर में जिला प्रशासन और कंपनी के लोगों में कॉआर्डिनेशन की भारी कमी देखी गई। जिला प्रशासन को स्टेटस रिपोर्ट तक नहीं दी जा रही थी। नतीजा 15 नवंबर को एडीएम उत्तरकाशी तीरथ पाल सिंह को कंपनी के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर को नोटिस भेजकर कहना पड़ा कि हर दो घंटे में आप जिला प्रशासन को स्टेटस रिपोर्ट दें, वरना किसी भी लापरवाही के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।

प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मुख्यमंत्री ने संभाली कमान

16 नवंबर को केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने ऑपरेशन साइट का दौरा किया। उनके साथ सचिव अनुराग जैन समेत चीफ इंजीनियर राहुल गुप्ता भी मौजूद थे।18 नवंबर को पीएमओ की ओर से पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल को मौके पर भेजा गया। इसके साथ ही पीएमओ ने पूरे ऑपरेशन की कमान अपने हाथ में ले ली। 19 नवंबर को केंदीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऑपरेशन साइट का दौरा किया। इसके साथ ही ऑपरेशन में तेजी आयी। टनल को भेदने के लिए छह प्लान पर काम शुरू हुआ।

20 नवंबर को मिली पहली राहत

सोमवार बीस नवंबर को पहली अच्छी खबर मिली। छह इंच का 57 मीटर लंबा लाइफ सपोर्ट पाइप टनल के आरपार हुआ। इसके जरिए श्रमिकों तक पर्याप्त मात्रा में भोजन सप्लाई होना लगा। 21 नवंबर को टनल से पहला वीडियो आया सामने। यहां भी कॉआर्डिनेशन की कमी देखी गई। जिला प्रशासन को बताए बिना वीडियो पहले ही मीडिया में वायरल कर दिया गया। इस पर जिला प्रशासन की ओर से एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया और इसके बाद हुई सख्ती के तहत पूरे ऑपरेशन की अपडेट ब्रीफिंग दिल्ली में होने लगी।

सीएम धामी ने डेरा डाला

मंगलवार को ही ओगर मशीन ने भी काम शुरू किया। पूरा ऑपरेशन टनल के अंदर बोरिंग करने पर केंद्रित हुआ। बुधवार को ब्रेक थ्रू की उम्मीद बंधी। लेकिन बोरिंग में अड़चन आने से कुछ निराशा हाथ लगी। इस बीच गुरूवार को तीसरी बार ऑपरेशन साइट पर सीएम पुष्कर सिंह धामी पहुंचे।उन्होंने श्रमिकों से बातचीत की। सीएम ने उत्तरकाशी में डेरा डाल दिया है। उत्तरकाशी के मातली में कैंप ऑफिस बना लिया है। जब तक ऑपरेशन सफल नहीं हो जाता तब तक सीएम धामी वहीं रहेंगे।

सिलक्यारा में चल रहे बचाव एवं राहत कार्यो की लगातार समीक्षा कर रहे सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मातली (उत्तरकाशी) में स्थापित अस्थायी कैंप कार्यालय से ही शासकीय पत्रावलियों का निस्तारण किया और सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री धामी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की सकुशलता के लिए बुधवार से मातली में ही डटे हैं। शासकीय कार्य बाधित न हो, इसके मद्देनजर मातली से ही सीएम का अस्थायी कैम्प कार्यालय संचालित हो रहा है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने जरूरी शासकीय पत्रावलियों को निस्तारित करने के साथ ही अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। शाम को मुख्यमंत्री ने सिलक्यारा पहुंचकर वहां चल रहे रेस्क्यू अभियान का निरीक्षण किया और अभियान में जुटी टीम से वार्ता कर आवश्यक जानकारी ली।

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