अद्धयात्मजीवनशैली

14 एवं 15 को धूमधाम से मनाया जायेगा मकर संक्रांति और पोन्गल पर्व

  • सूर्य के उतरायण प्रवेश करते ही भीष्म पितामह ने त्यागा था शरीर


रायपुर : प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मकर संक्रांति एवं पोन्गल का पर्व 14 एवं 15 जनवरी को धूमधाम से मनाने की तैयारियां श्रध्दालुओं द्वारा की जा रही है। मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह से ही खारुन तट पर श्रध्दालु पहुंचकर स्नानकर भगवान की पूजा अर्चना मंदिरों में करेंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार संक्रांति पर तिल दान अक्षय सुखों की प्राप्ति का साधन है। मकर संक्रांति के अवसर पर उत्तर प्रदेश एवं बिहार में खिचड़ी पर्व के रुप में मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी व दही चुड़ा, तिलकुट, तिल का भगवान विष्णु और शंकर को भोग लगाया जाता है। उसके पश्चात साधु संतों को यथायोग्य स्वर्ण दान आदि किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति एवं पोन्गल के पर्व का धार्मिक महत्व निम्नानुसार है। सूर्य जब अपने पुत्र शनि की राशि मकर में जाते हैं तो वह संक्रांति, मकर संक्रांति कहलाती है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। खरमास समाप्त हो जाते हैं। समस्त मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इसी दिन माता गंगा भगीरथ के पीछे चलकर गंगासागर में मिली थीं। भीष्म पितामह ने इसी दिन अपने शरीर का त्याग किया था। इस महापर्व पर विष्णु जी ने असुरों की समाप्ति कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। ज्योतिषाचार्य सुजीत महाराज के अनुसार सूर्य एक राशि में एक माह रहते हैं। मकर संक्रांति किस दिन पड़ेगी और क्या है इसका शुभ मुहूर्त एंव महत्व इस प्रकार है। इस बार मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ेगी। 14 को रात्रि में 02 बजकर 10 मिनट पर सूर्य मकर में प्रवेश करेंगे। 15 जनवरी को उदय तिथि पडऩे के कारण मकर संक्रांति 15 को ही मनाई जानी चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रात:काल से सूर्यास्त तक रहेगा। पूरे दिन पर्व का शुभ मुहूर्त है। इस दिन प्रात: उठकर पवित्र नदी में स्नान करके भगवान भास्कर को जल अर्पित किया जाता है। श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का तीन बार पाठ करने से भगवान सूर्य के आर्शिवाद से जातक की बाधाओं एवं समस्याओं का अंत होता है। मकर संक्रांति के दिन गुरु गोरखनाथ महाराज को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। हर घरों में खिचड़ी बनाई जाती है तथा लोग खिचड़ी ही खाते हैं। तिल के लड्डू का प्रयोग भी होता है।


गरीबों में खिचड़ी, कम्बल तथा ऊनी वस्त्र बाटें : इस महापर्व पर दान का बहुत महत्व है। गरीबों में ऊनी वस्त्र का दान करें।कम्बल का वितरण करें। जगह जगह गरीब जनों को खिचड़ी खिलाएं। मकर संक्रांति पर दान करने से सूर्य तथा शनि दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
करें सूर्य तथा शनि के बीज मंत्र का जाप : मकर संक्रांति के दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि के घर में जाते हैं। यह एक महान पुण्य प्राप्ति का अवसर है। इस दिन सूर्य तथा शनि दोनों की पूजा करने से एक साथ दोनों ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। संपूर्ण देश में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाब, हरियाणा में यह पर्व लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। वहीं आसाम, पश्चिम बंगाल, उत्तपूर्वी राज्यों में वहां की लोक परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति मनाई जाती है। दक्षिण राज्यों में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू , केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में मकर संक्रांति पर्व को पोन्गल पर्व के रुप में मनाये जाने की परंपरा है। इस बार रायपुर में अय्यपा मंदिर टाटीबंध में एक लाख दीयों से भगवान अय्यपा की महाआरती उतारने का आयोजन विधिविधान से किया जा रहा है।

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