14 पीढ़ियों का पिंडदान कर 500 संन्यासी निरंजनी अखाड़े में हुए शामिल
Kumbh Mela 2019: कुंभ में अखाड़ों का विशेष महत्व होता है. अखाड़ों का इतिहास बहुत पुराना है, जो मुगलकाल से शुरू हुआ था. अखाड़ा साधुओं का वह दल होता है, जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता है. इन्हीं में से एक है निरंजनी अखाड़ा. यह अखाड़ा दूसरे अखाड़ों के मुकाबले सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा माना जाता है. कई वर्षों तक कड़ा परिश्रम करने के बाद करीब 500 नागा संन्यासी निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए हैं.
निरंजनी अखाड़े में शामिल होने वाले इन सभी संन्यासियों ने पूरे विधि-विधान के साथ अपनी-अपनी 14 पीढ़ियों का पिंडदान किया और अपना मुंडन भी करवाया. खबरों के मुताबिक, 4 फरवरी मौनी अमावस्या के दिन होने वाले दूसरे शाही स्नान तक इन सभी संन्यासियों को तीन चरण की जटिल परिक्षाओं का सामना करना होगा.
दीक्षा लेने के बाद में ये सभी संन्यासी कुंभ के दूसरे शाही स्नान में शामिल होंगे. ये शाही स्नान इन सभी संन्यासियों के जीवन का पहला शाही स्नान होगा. स्नान के बाद ये सभी संन्यासी निरंजनी अखाड़े के सदस्य कहलाएंगे. बता दें, निरंजनी अखाड़े के ईष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिक हैं. इस अखाड़े की स्थापना 826 ईसवी में हुई थी.
बता दें, निरंजनी अखाड़े में नए नागा संन्यासियों को शामिल करने की प्रक्रिया काफी समय पहले ही शुरू हो गई थी. अपने गुरुओं द्वारा ली गई परीक्षा में पास हुए संन्यासियों को ही निरंजनी अखाड़े का हिस्सा बनने की प्रक्रिया में शामिल किया गया.