जयपुर: मोहम्मद फारुख ने 20 साल तक भारतीय सेना में नौकरी की और रिटायर हो गए। अब वो सेना की तरफ से पेंशन भी लेते हैं, लेकिन उन्हें क्या पता था कि इतने समय बाद उनका पाकिस्तानी होना उनके लिए मुसीबत बन जाएगा और उन्हें इतने साल भारतीय सेना में नौकरी करने के बाद भी अपनी भारतीय नागरिकता के लिए सबूत देने होंगे। नौकरी खत्म होने के 14 साल बाद फारुख के पाकिस्तानी होने का पता चला। राजस्थान की झुंझुनूं पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है और इस संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी दस्तावेज भेजे गए हैं। चूरू एसपी ऑफिस को मिली शिकायत के बाद खुला यह मामला सामने आया, जिसके बाद चूरू एसपी ऑफिस ने मामले की पत्रावली झुंझुनूं एसपी ऑफिस भेजी। झुंझुनूं एसपी सुरेंद्र कुमार गुप्ता का कहना है कि यह काफी संवेदनशील मामला है। दरअसल, जो लोग 19 जुलाई, 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आए, उन्हें स्वत: भारतीय नागरिक मान लिया गया। इसके बाद आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए कई तरह के नियम लागू हैं। मौजूदा नियमों के अनुसार मां-बाप को भले नागरिकता मिल जाए, लेकिन बच्चों को अलग से आवेदन करना होता है।
फारुख के पिता भारतीय और मां पाकिस्तानी हैं। फारुख का जन्म भी पाकिस्तान में हुआ। 60 के दशक में जब फारुख डेढ़ साल के थे, उनकी मां उसे भारत ले आईं। यहां उनकी मां ने तो भारतीय नागरिकता ले ली, लेकिन फारुख की नागरिकता के लिए कभी आवेदन नहीं किया। 1980 में फारुख को मूल निवास प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी मिल गई और वर्ष 2000 में वे रिटायर हो गए। फारुख का कहना है कि उन्हें 1992 में अपनी नागरिकता का पता चला। फिलहाल फारुख के मामले की जांच जारी है और उनके पास अभी 2016 तक का वीजा है।