146 साल पुराने उपन्यास ‘अराउंड द वर्ल्ड इन 80 डेज’ की तर्ज पर होगी रेस
फॉग की तरह पूरी करनी होगी यात्रा
रेस के संचालक नीदरलैंड के फ्रैंक मेंडर्स के मुताबिक, इस चैलेंज को लेने वाली टीमों में दौड़ उसी रूप में पूरी करनी होगी, जैसे उपन्यास में फॉग ने की थी। लेकिन 1873 में पेट्रोल यानी फॉसिल फ्यूल नई तकनीक थी। अब हमारे पास रिन्युएबल एनर्जी है। हमारा मकसद क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देना है। इसलिए ज्वलनशील इंजन वाले वाहन से रेस में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
रेस की रजिस्ट्रेशन फीस 32 लाख रुपए
रेस का रजिस्ट्रेशन मार्च के आखिर तक होगा। रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद रेस की अंतिम तारीख तय की जाएगी। रजिस्ट्रेशन फीस 44 हजार डॉलर यानी करीब 32 लाख रुपए रखी गई है। रेस के आयोजक फ्रैंक मेंडर्स का कहना है कि रेस के लिए कोई विशेष नियम-कायदे नहीं बनाए गए हैं। इसमें लोगों को खुद ध्यान रखना होगा कि वे कैसे कम से कम कार्बन उत्सर्जन कर प्रकृति को बचा सकते हैं।
चार चरण में होगी रेस
पहले चरण में रेस पेरिस से शुरू होगी और अस्ताना (कजाकिस्तान) में खत्म होगी। चीन पार कर टीमें प्रशांत महासागर से वैंकूवर तक का रास्ता तय करेंगी। इसके बाद रेस सैन डिएगो से मैक्सिको के कानकुन तक होगी। इसके बाद टीमें अटलांटिक सागर पार कर मोरक्को पहुंचेंगी। अंतिम चरण में मोनाको से पेरिस की दूरी तय करनी होगी।
सुशील रेड्डी ने सोलर साइकिल से देशभर की यात्रा की
सुशील रेड्डी साल 2016 में सोलर साइकिल से भारत की यात्रा कर चुके हैं। उनकी 3 लोगों की टीम ने 9 राज्य मिलाकर 7 हजार 423 किमी की यात्रा की थी। सुशील का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अलावा लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
सुशील का कहना है कि उनका मकसद रिन्युएबल (सोलर) एनर्जी के इस आंदोलन को हर व्यक्ति तक ले जाना है ताकि प्रकृति को बचाया जा सके। सुशील फ्रांस, अमेरिका और आइसलैंड को भी सोलर साइकिल से पार कर चुके हैं।
ये हैं रेस के नियम
– एक टीम में केवल दो लोग होंगे
– कैप्टन और वाइस कैप्टन
– वाहन पेट्रोल-डीजल से नहीं चलेंगे
– वाहन सिर्फ रिन्युएबल एनर्जी से चलेंगे
– टीमें जिस देश से गुजरेंगी, वहां के नियम, कायदे-कानून और सांस्कृतिक विरासत का ध्यान रखना होगा।