15वां सत्याग्रह कर रहे नेपाली ये गांधी, पिछले 6 वर्षों में कुल 180 दिन कर चुके हैं अनशन
नेपाल में महात्मा गांधी के सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर सत्ता को चुनौती देने के लिए एक व्यक्ति अकेले उठ खड़ा हुआ है। अविवाहित प्राध्यापक डॉ गोविंद केसी पेशे से हड्डियों के सर्जन रहे हैं। गांधी के अहिंसात्मक आंदोलन के माध्यम से वे नेपाल में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र का व्यापारीकरण व कुशासन रोकने में लगे हैं।
डॉ केसी का 15 वां सत्याग्रह फिलहाल नेपाल की मीडिया में छाया हुआ है। वे नेपाल के दुर्गम पहाड़ी जिला जुम्ला में विगत 19 दिनों से आमरण अनशन कर रहे हैं। पिछले 6 वर्ष के दौरान डॉ केसी 15 बार अनशन पर बैठे हैं। इस तरह पिछले 6 वर्षों में बुधवार तक वे कुल 180 दिन अनशन कर चुके हैं।
बता दें कि नेपाल के चिकित्सा शिक्षा के साथ ही चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में फिलहाल मुनाफाखोरी बढ़ने के साथ गुणवत्ता में कमी देखी जा रही है। डॉ केसी के अनुसार सरकार ने अपने करीबी व्यवसायिओं को मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा सेवा का व्यापार करने की खुली छूट दे रही है। इस क्षेत्र में हद से ज्यादा व्यावसायिकरण के कारण आम नेपाली को गुणवत्तापूर्ण, सहज और सुलभ चिकित्सा सेवा और शिक्षा मिलना मुश्किल हो गया है।
डॉ केसी का कहना है कि सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक व्यक्ति सच्चे मन से आगे आए तो उसके पीछे आम जनता ताकत बनकर खड़ी रहती है। 15 वां सत्याग्रह शुरू करने के वाद डॉ केसी ने अमर उजाला से बात करते हुए कहा था कि मैं गांधी जी के अहिंसात्मक मार्ग पर चलते हुए सत्याग्रह के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण, सहज, सुलभ चिकित्सा सेवा का अधिकार दिलाऊंगा।
उनके अनुसार गांधी जी के सत्याग्रह की शक्ति में बहुत हिम्मत है। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट होने के कारण राजनीतिक नेता फिलहाल इसका उपयोग नहीं करते हैं। लेकिन सत्याग्रह कि ताकत से सरकार तो आम जनता के पक्ष में काम करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
डॉ केसी के समर्थन में सड़कों पर निकल रहा जुलूस
फिलहाल हर दिन काठमांडू की सड़कों पर डॉ केसी के सत्याग्रह के समर्थन और नेपाली सरकार के विरोध में डॉक्टर, विद्यार्थी और आम नागरिकों का जुलूस निकलता है। संसद में विपक्षी दल कांग्रेस डॉ केसी के पक्ष में आवाज बुलंद कर रही है। हालांकि सत्ताधारी केपी शर्मा ओली की सरकार फिलहाल डॉ केसी के अनशन के सामने झुकने को तैयार नहीं है।
विपक्ष का समर्थन हासिल :
वर्तमान कांग्रेस सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री गगन थापा ने अमर उजाला से कहा कि डॉ केसी फकीर हैं। वो राजनीति से ऊपर उठे हुए गांधीवादी संत हैं। देशवासियों के स्वास्थ्य के उत्थान के लिए वे सत्याग्रह करते आ रहे हैं। थापा ने कहा कि यदि उनको कुछ हो जाता है तो नेपाली जनता सत्ता को कभी माफ नहीं करेगी। बता दें कि डॉ केसी के स्वास्थ्य की स्थिति फिलहाल जटिल है।
लोगों की करते हैं मदद :
विश्व के किसी भी भाग में भूकंप, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं आने पर डॉ केसी खुद के खर्च पर ही चिकित्सा सेवा देने के लिए निकल पड़ते हैं। त्रिवि शिक्षण अस्पताल, काठमांडू में अर्थोपेडिक के प्राध्यापक रहे डॉ केसी अपने वेतन में से हर महीने खुद पर मात्र 6 हजार भारतीय रुपये खर्च करते हैं। बचे हुए पैसे से वो नेपाल के दुर्गम पहाड़ी जिलों में या विदेश में प्राकृतिक आपदा होने के समय जाकर स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं। सरकारी आवास में रहने वाले डॉ केसी के पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है। उन्होंने कभी निजी प्रैक्टिस भी नहीं की।
सरकार को झुकना पड़ता है :
डॉ केसी के हर सत्याग्रह पर सरकार को झुकना पड़ा है। इससे पहले भी 14 बार उनकी सभी मांगे मानने के लिए सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था। हालांकि अनशन तोड़ते ही सरकार अपने वादों से मुकर जाती है। वहीं कुछ दिनों के इंतजार के बाद मांगे पूरी हो न पर वे एक बार फिर से सत्याग्रह करने को बाध्य हो जाते हैं।