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150 साल बाद पड़ रहा ऐसा चंद्रग्रहण, ज्योतिषी आखिर किस बात की जता रहे आशंका


ज्योतिष डेस्क : गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई की मध्यरात्रि में चन्द्रमा को ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा ऐसा माना जा रहा है। करीब चार घंटे तक चन्द्रमा ग्रहण के प्रभाव में होंगे। इस दिन मंगल भी पृथ्वी के काफी करीब आने वाला है। ज्योतिषशास्त्री मान रहे हैं कि ग्रहों की यह स्थिति देश दुनिया के लिए बहुत अच्छी नहीं है। इससे प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं में जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता है।खगोलविद् बता रहे हैं कि करीब एक 150 साल बाद चन्द्रमा अपने उस रूप में फिर से दिखाई देगा जैसा 27 जुलाई की रात में दिखाई देने वाला है। सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण आज से 1700 साल पहले पड़ा था। चंद्रग्रहण का सूतक चन्द्रमा के उदय होने से पहले ही लग चुका होगा। चन्द्रग्रहण का आरंभ रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगा।

ग्रहण का मध्यकाल रात 1 बजकर 54 मिनट पर होगा और 28 जुलाई को सुबह 3 बजकर 49 मिनट पर ग्रहण का मोक्ष यानी समापन होगा। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 55 मिनट की होगी। सदी का यह सबसे लंबा चंद्रग्रहण भारत के अलवा ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोपीय देशों व अंर्टाकटिका में भी देखा जा सकेगा। इस साल यह दूसरा मौका होगा जब ग्रहण के समय ब्लड मून दिखेगा। खगोलविद् बताते हैं कि ‘ब्लड मून’ इसके रंग की वजह से कहा जाता है। चंद्रग्रहण के समय जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आती है तो सूरज की रोशनी रुक जाती है। पृथ्वी के वातावरण की वजह से रोशनी मुड़कर चांद पर पड़ती है और इस वजह से यह लाल नजर आता है। जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है तभी ब्लड मून होता है। इस समय चांद बेहद खूबसूरत लगता है। चंद्रग्रहण देखने के लिए बड़ी-बड़ी इमारतों और लाइट्स से दूर खुले इलाके या छत पर जाएं। इसे देखने के लिए टेलिस्कोप की जरूरत नहीं, लेकिन अगर टेलिस्कोप से देख लें तो आपका चांद और भी खूबसूरत और निराला नजर आएगा। नंगी आंखों से चंद्रग्रहण देखने पर आपकी आंखों को कोई नुकसान नहीं है। हां, सूर्यग्रहण से नंगी आंखों पर असर पड़ता है।

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