150 साल का हुआ ‘रसगुल्ला’, जारी किया गया डाक टिकट
कोलकाता के उत्तर में बसा बागबाजार वही इलाका है, जहां रसगुल्ला की खोज करने वाले नोबिन चंद्र दास रहते और काम करते थे। नोबिन ने 1868 में रसगुल्ला की खोज की थी। बाद में यह मिठाई हर बंगाली की मिठाई बन गई और न सिर्फ देश बल्कि विदेश में काफी मशहूर हुई। रसगुल्ला को लेकर ही पश्चिम बंगाल का अपने पड़ोसी राज्य ओडिशा के साथ लंबा विवाद चला। पिछले साल नवंबर में इस लोकप्रिय मिठाई के लिए पश्चिम बंगाल को भौगोलिक पहचान (जीआई) का टैग हासिल हुआ है। बंगाल को जीआई टैग मिलने के बाद ओडिशा को रसगुल्ला के ऊपर से अपना दावा छोड़ना पड़ा।
‘बागबाजार-ओ-रसगुल्ला उत्सव’ में शिरकत करने पहुंचे नगर पालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा, ‘हम बंगालियों से कोई रसगुल्ला नहीं छीन सकता है। यह हमारी पहचान है।’ उत्तरी कोलकाता से टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘अगर मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है तो बंगाल को सांस्कृतिक राजधानी कहा जा सकता है।’