15000 साल पहले गुफाओं से शुरु हुआ था कंडोम का इतिहास, तस्वीरें देखकर हैरान हो जाएंगे
जैसे दुनिया का आधा इतिहास अजंता की गुफाओं से शुरु हुआ ठीक उसी तरह कंडोम का इतिहास भी गुफाओं से शुरू हुआ है । अब आप सोचेंगे कि हम कैसी बकवास कर रहे हैं लेकिन ये सच है। फेसबुक पर कुछ पुरानी पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें कॉन्डम के इतिहास की बात कही जा रही है। जिसमें कॉन्डम बनाम पूर्वज शेयर किया जा रहा।
दरअसल ये पोस्ट ये बताने की कोशिश कर रही है कि सेक्स के दौरान यूज होने वाला कॉन्डम कोई आधुनिक चीज नहीं बल्कि इसको हमारे पूर्वज भी इस्तेमाल करते आए और हमें जानना चाहिए कि आखिर कॉन्डम का इतिहास क्या है। इस खबर की पुष्ठि तो नहीं करते हम लेकिन एक रिसर्च में पता चला है कि प्राचीन काल में भी कॉन्डम का इस्तेमाल होता था। गुफाओं में बनी पेंटिंग्स में सेक्स के दौरान लिंग को कवर करने का प्रमाण मिला है।
गुफाओं के चित्रो से पता लगाया गया है। इन चित्रों में आदिम इंसानों को कंडोम के तौर पर कछुए का कवच और सींग को यूज़ करते देखा गया है। इसके अलावा कहा तो ये भी जाता है कि एक समय था जब लिनिन के टुकड़ों को आपस में सिलकर कॉन्डम बनाया जाता था. इस तरह बने कॉन्डम या तो पूरे लिंग को कवर लेते थे या फिर सिर्फ ऊपरी हिस्से को।
1600 ईस्वी तक जानवरों की खालों उनके कवचों द्वारा प्रयोग चला उसके बाद 1700 ईस्वी में कॉन्डम की क्वॉलिटी चेक करने का काम कैसनोवा को मिला। वह कॉन्डम में हवा भरते थे और फिर चेक करते थे कि कहीं कोई सुराख तो नहीं रह गया है।
पहला कॉन्डम रबड़ का-
15वीं सदी के बाद 1839 में चार्ल्स गुडइयर ने पहले रबड कॉन्डम की खोज की। इसमें वल्केनाइजेशन केमिकल प्रोसेस का यूज किया गया, इस प्रोसेस में रबड़ को ड्युरेबल मटीरियल में बदल दिया जाता है। 1844 में चार्ल्स ने इस कॉन्डम का पटेंट लिया और फिर 1855 में पहला रबड कॉन्डम बनाया गया। इसके बाद 1850 में रबड कॉन्डम का बडे लेवल पर प्रोडक्शन किया जाने लगा। आपको बता दें कि पहला रबड का कॉन्डम साइकिल ट्यूब जैसा पतला था, जो आज के कॉन्डम के मुकाबले बेहद मोटा हैं।
पान का फ्लेवर लेटेस्ट है-
ब्रिटेन ने 1957 में पहला लूब्रिकेटेड कॉन्डम लाया, जिसके बाद 1990 के आते इन कॉन्डम में कई नए बदलाव देखने को मिले और 2008 के बाद कलरफुल, टेक्चर्ड और फ्लेवर्ड कॉन्डम मार्केट में आने लगे और अब पान के फ्लेवर वाला सबसे लेटेस्ट चल रहा है।