अधिक उम्र में मातृत्व से होती है परेशानियां
पैंतीस वर्ष की उम्र के बाद होने वाले प्रसव से कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। मां और शिशु दोनों की बीमारियां घेरने का डर रहता है। कभी-कभी बीमारी संगीन होकर मृत्यु भी हो सकती है। ये हैं गर्भावस्था में अकसर होने वाली परेशानियां गर्भपात होना अधिक उम्र में गर्भधारण करने पर कई बार भूण ठीक से विकसित नहीं हो पाता। इनमें डाउन सिंड्रोम की संभावना बढ़ जाती है। आनुवांशिक जेनेटिक त्रुटि हो सकती है। मरीज के शरीर में खनिज, विटामिन्स आदि की कमी से शिशु में स्नायु तंत्रिका की विकृति होने की आशंका बढ़ जाती है।
हाई ब्लडप्रेशर
मरीज का रक्तचाप बढ़ जाता है। शरीर में सूजन आ जाती है व पेशाब में प्रोटीन स्त्राव हो जाता है। ऐसी स्थिति में लापरवाही के कारण गर्भ जल की कमी होना, बच्चे के कान बढ़ना, मरीज के दीमाग में सूजन व खून के थक्का बनने की क्षमता कम होना आदि समस्याएं हो सकती है। कई बार मरीज बेहोश हो जाता है और गर्भस्थ शिशु की मृत्यु भी हो सकती है। अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में ये समस्याएं अत्यधिक रूप से देखने में आती है।
ह्वदय रोग
अधिक उम्र में गर्भधारण करने से ह्द्रय रोग की संभावना हो जाती है।
बच्चेदानी में गांठ
उम्र बढ़ने के साथ गर्भाशय में फायब्राइड (गांठ) की संभावना बढ़ जाती है। इससे गर्भपात होना, शिशु का समुचित विकास न हो पाना व प्रसूति संबंधी जटिलताओं के होने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रोलेप्स
अधेड़ावस्था में कदम रखने वाली महिलाओं में गर्भाशय खिसक कर नीचे आ सकता है। इस परिस्थिति में प्रसव करवाना अत्यन्त जटिल हो जाता है।
प्रसूति के समय दिक्कत
अधिक उम्र में महिलाओं में प्रसूति के समय कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
कम समय में प्रसूति का हो जाना
प्रसूति के दौरान गर्भाशय संकुचन व गर्भाशय के मुंह खुलाने में विसंगति होना। शिशु का गर्भ में स्थान विसंगतिपूर्ण होना, प्रसव के जटिल होने की संभावना बढ़ा देता है। प्रसूति के बाद अत्यधिक रक्तस्रव होना, प्रसव की जटिलताएं और बच्चेदानी फटने की आशंका भी हो सकती है।
सावधानी बरतना
रक्तचाप, खून की जांच, शूगर टेस्ट, ह्द्रय रोग, थायराइड की जांच व किसी अन्य रोग के पहले से रहने पर रोग की स्थिति पर पहले ही काबू करने के बाद ही गर्भधारण की सलाह दी जानी चाहिए। अनेक संक्रामक रोग जैसे, रूबेला, हेपेटाइटिस, टीबी व यौनरोग की जांच गर्भधारण के पूर्व करवा लेनी चाहिए। मां की उम्र 35 व पिता की 40 होने पर जेनेटिक जांच करवा लेनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान ही किसी ऐसे अस्पताल में रजिस्ट्रेशन करवायें जहां उच्च स्तरीय सुविधायें मौजूद हों। हर तरह के उपकरण, कुशल विशेषज्ञ चिकित्सक एवं गंभीर परिस्थिति से निपटने की व्यवस्था हो सके। चिकित्सक की सलाह से ब्लड टेस्ट व सोनोग्राफी समय-समय पर कराएं।चिकित्सक की सलाह के मुताबिक आयरन, बिटामिन, कैल्सियम, प्रोटीन आदि बिना लापरवाही के निर्धारित खुराक में लेनी चाहिए।