खास बातें….
- अबूधाबी में 1-2 मार्च को होने वाले कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगी विदेश मंत्री
- पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच इस न्योते को माना जा रहा है भारत की कूटनीतिक जीत
- स्वराज दे सकती हैं सीमापार आतंकवाद पर भाषण, पाकिस्तान उठा सकता है विरोध का स्वर
नई दिल्ली : भले ही देश में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी घोषित किए जाने के चलते केंद्र सरकार को मुस्लिम विरोधी घोषित करने की मुहिम चल रही है, लेकिन मुस्लिम बहुल देशों के सबसे शक्तिशाली संस्था इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) ने भारत को अपने कार्यक्रम में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के तौर पर आमंत्रित किया है। पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिशों के बीच 57 मुस्लिम देशों के संगठन की तरफ से पहली बार मिले इस न्योते को भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इस न्योते की जानकारी दी। मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अगले महीने अबू धाबी में 1 व 2 मार्च को होने जा रहे ओआईसी की विदेश मंत्री परिषद के 46वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारत की तरफ से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शरीक होंगी। भारत को यह न्योता संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान की तरफ से दिया गया है।
विदेश मंत्रालय ने इस न्योते को भारत में 18.5 करोड़ मुसलमानों की मौजूदगी और इस्लामी जगत में भारत के योगदान को मान्यता देने वाला स्वागत योग्य कदम बताया है। सुषमा ओआईसी के उद्घाटन सत्र को संबोधित भी करेंगी, जिसमें उनका भाषण सीमापार से पोषित आतंकवाद पर केंद्रित होने की संभावना मानी जा रही है। ऐसा हुआ तो इस सम्मेलन में मौजूद पाकिस्तान की तरफ से विरोध का स्वर उभर सकता है, जो इसमें कश्मीर को लेकर फिर से कोई प्रस्ताव पारित कराने की कोशिश शुरू कर चुका है। इन हालात में यह देखना अहम होगा कि 2 मार्च को अपने समापन सत्र में ओआईसी की तरफ से जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या रुख पेश किया जाता है। चार महाद्वीपों के 57 देशों की सदस्यता वाले ओआईसी को वैश्विक कूटनीति में संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद दूसरे सबसे बड़े संगठन का दर्जा हासिल है।
इस संगठन की कही हुई बात को पूरे मुस्लिम समुदाय की संयुक्त राय का दर्जा दिया जाता है। अभी तक कश्मीर मुद्दे पर ओआईसी की तरफ से पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया जाता रहा है और कश्मीरियों की तथाकथित आजादी की मांग के समर्थन में यह संगठन 2017 में संकल्प प्रस्ताव भी पारित कर चुका है। ऐेसे में भारत को विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित कर अपना पक्ष ओआईसी के सदस्य देशों के सामने रखने का मौका देने को इस संगठन के रुख में थोड़ी नरमी का प्रतीक माना जा सकता है। ओआईसी की सदस्यता मुस्लिम बहुल देशों के लिए आरक्षित है, लेकिन रूस, थाईलैंड और कुछ अन्य छोटे देशों को उसकी तरफ से ऑब्जर्वर का दर्जा दिया गया है। पिछले साल मई में ढाका में हुए विदेश मंत्री परिषद के 45वें सम्मेलन में बांग्लादेश ने मेजबान के तौर पर भारत को इस संगठन की सदस्यता देने का प्रस्ताव रखा था। बांग्लादेश ने इसके लिए देश की आबादी में मुस्लिम समुदाय की 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी का तर्क दिया था, लेकिन पाकिस्तान के विरोध के कारण यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था।