ज्योतिष : साल में 12 संक्रांतियां होती है जिसमें से 4 संक्रांति मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति ही प्रमुख मानी गई हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसी तरह जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तो वह दक्षिणायन हो जाता है। 16 जुलाई 2021 को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होगा और सूर्य दक्षिणायन हो जाएगा। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। शास्त्र के अनुसार उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ गति करता है जबकि दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इसीलिए उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं। उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है, जबकि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। सूर्य 6 माह उत्तरायण और 6 माह दक्षिणायन रहता है। मकर संक्रांति से देवताओं का दिन प्रारम्भ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है।
दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि मानी गई है। यानि देवताओं के एक दिन और रात को मिलाकर मनुष्य का एक वर्ष होता है। मनुष्यों का एक माह पितरों का एक दिन होता है। दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहते हैं कि उत्तरायण उत्सव, पर्व एवं त्योहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत, साधना एवं ध्यान का समय रहता है। उत्तरायण में तीर्थयात्रा, धामों के दर्शन और उत्सवों का समय होता है। उत्तरायण के 6 महीनों के दौरान नए कार्य जैसे- गृह प्रवेश, यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। इस दौरान व्रत रखना, किसी भी प्रकार की सात्विक या तांत्रिक साधना करना भी फलदायी होती हैं।