160 साल बाद मिला माल गाड़ी के गार्डों को उनका हक

कुंदन सिंह (5 अक्टूबर): क्या आपको पता है कि उस माल गाड़ी के संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले ट्रैन के डब्बों के पीछे रहकर नजर रखने वाले गार्ड किन हालातों में काम करते है। आप जानकर चौक जाएंगे कि इन गार्ड के कमरों में ना तो बिजली की कोई व्यवस्था होती है ना ही पानी की। अपने 8 से 10 घंटे के डयूटी के दौरान टॉयलेट और पंखे जैसी बुनियादी सुविधाएं तो इनके लिए लक्जरी होंगी।
बीते 160 साल से ज्यादा के अपने यात्रा के दौरान भारतीय रेल विकास की कई बुलंदियों को छूने का दावा करे, लेकिन अपने सबसे अहम मालगाड़ी के गार्ड डिब्बें में ये बुनियादी सुविधा मुहैया कराने में असफल रही है। खैर देर से ही सही पर रेलवे ने इस और कदम उठाया है, जिसके बाद आज देश की पहला गार्ड ब्रेकयान डब्बा पहली बार बनकर तैयार किया गया। इसे बिजली पानी और ट़ॉवलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं से लैस किया गया है और वो भी सोलर उर्जा से।
नए गार्ड डब्बे में क्या-क्या है…
– इस डिब्बे की छत के ऊपर 400 वॉट का 4 सोलर पैनल लगे है।
– जिससे करीब 1.2 किलोवाट बिजली पैदा होगी।
– इसमें एक पंखा, एक एलईडी लाइट और एक मोबाइल चार्जर लगा होगा।
– डब्बे में लगे बैटरी से करीब 2 दिन का पॉवर बैकअप होगा।
– मौसम खराब होने के कारण सोलर न चल पाने के परेशानी ना हो।
– साथ ही बॉयोटावलेट भी होगा जिससे उन्हें ओपन डेफिकेशन ना करना पड़े।