चमोली : उत्तराखंड में चमोली जिले का सुदुरवर्ती गांव डुमक तक सड़क नहीं पहुंच सकी। हालांकि, सड़क की स्वीकृति 2007 में ही मिल गई थी, लेकिन निर्माण में कोई प्रगति नहीं हो पाई। नतीजा ग्रामीणों को इलाज के लिए निकटतम अस्पताल तक जाने के लिए सड़क तक पहुंचना है तो 18 किलोमीटर पैदल ही चलना पड़ता है। रविवार को भी यही हुआ। लकवे के शिकार 75 वर्षीय बुजुर्ग को ग्रामीण स्ट्रेचर पर 18 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क पर पहुंचे, जिसके बाद उन्हें वाहन के जरिये उपचार के लिए जिला अस्पताल गोपेश्वर पहुंचाया। डुमक गांव के लिए वर्ष 2007 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क मंजूर की गई थी, लेकिन 11 साल बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हो पाई है। गांव में चिकित्सा सुविधा न होने के कारण मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को कुर्सी की पालकी बनाकर पैदल ही लाना पड़ता है। रविवार को गांव के 75 वर्षीय बाक सिंह को अचानक लकवा की शिकायत हो गई। इस पर ग्रामीणों ने गांव के आयुर्वेदिक चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार कराने के बाद उन्हें 18 किमी स्ट्रेचर पर पैदल सड़क तक ले गए। यहां से वाहन के जरिए उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डुमक गांव के यशवंत भंडारी का कहना है कि तकरीबन डेढ़ हजार की आबादी डुमक क्षेत्र में रहती है। बावजूद इसके ग्रामीणों को आज तक न यातायात सुविधा दी गई है और न स्वास्थ्य सुविधा। उन्होंने कहा कि सड़क सुविधा की मांग को लेकर ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। चमोली के प्रभारी जिलाधिकारी हंसा दत्त पांडेय ने कहा कि डुमक गांव के लिए स्वीकृत सड़क निर्माण को लेकर कार्य में तेजी लाने के लिए पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही निर्माण शुरू हो जाएगा। दूरस्थ क्षेत्रों से आए मरीजों को जिला चिकित्सालय में समुचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
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