1992 में पहली बार अहसास हुआ कि मैं मुसलमान हूं: शबाना आजमी
देश में इन्टॉलरेंस (असहिष्णुता) पर जारी बहस के बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस शबाना आजमी ने एक और बयान दिया है।
शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान शबाना ने कहा कि 1992 में मुझे पहली बार इस बात का अहसास हुआ कि मैं मुसलमान हूं। हर कोई कहने लगा, ओह! आप तो मुस्लिम हैं।
शनिवार को शबाना लखनऊ लिटरेचर कार्निवाल में बोल रही थीं। मशहूर गीतकार जावेद अख्तर से शादी करने वाली शबाना ने ये भी कहा कि इस देश में मजहब को ही पहचान बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ये इंडिया की पहचान नहीं है। इस प्रोग्राम में इन्टॉलरेंस के मुद्दे पर शबाना आजमी से सवाल किए गए थे।
मेरे पिता ने कई साल पहले पद्मश्री लौटा दिया था : शबाना
एक्ट्रेस शबाना आजमी से पूछा गया कि आपको 5 नेशनल अवार्ड मिले हैं तो क्या आप भी अवॉर्ड वापसी की मुहिम में शामिल होंगी? इस पर शबाना ने कहा, ”मेरे पिता शायर कैफी आजमी ने बहुत साल पहले अवॉर्ड वापस कर दिया था। उन्होंने तो अपना पद्मश्री अवॉर्ड ही लौटा दिया था। जब यूपी में उर्दू को दूसरी भाषा के तौर पर रखने की मांग हुई थी तो एक नेता ने कहा था कि ऐसी मांग रखने वालों को गधे पर उल्टा बैठाकर मुंह काला कर घुमाना चाहिए। उन्होंने उसी बात के विरोध में अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया था।’
हाल ही में विवादों में आ चुके हैं आमिर खान
आमिर ने पिछले हफ्ते एक मीडिया ग्रुप के अवॉर्ड फंक्शन में कहा, देश का माहौल देखकर एक बार तो पत्नी किरण ने बहुत बड़ी बात कह दी थी। किरण ने पूछा था कि क्या हमें देश छोड़ देना चाहिए? किरण बच्चे की हिफाजत को लेकर डर महसूस कर रही थीं। इसके बाद वे विवादों में आ गए। दो दिन बाद उन्हें सफाई भी देनी पड़ी कि वे देश छोड़कर नहीं जाने वाले।
क्या है इन्टॉलरेंस का मुद्दा?
यूपी के दादरी में गोमांस रखने के शक में एक शख्स की हत्या हुई। इससे पहले कन्नड़ लेखक कलबुर्गी का मर्डर हुआ। इसी के बाद इन्टॉलरेंस का मुद्दा भड़का। अवॉर्ड वापसी की शुरुआत हुई। कई लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों ने देश में बढ़ते कथित इन्टॉलरेंस के माहौल के विरोध में पुरस्कार लौटा दिए।