2जी घोटाले के फैसले से बदलेगी राजनीति की फिजा
सीबीआई की विशेष अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा, सांसद कनिमोझी सहित 17 लोगों को बरी कर दिया है। 7 वर्ष पूर्व भारत के महालेखाकार विनोद राय की ऑडिट रिपोर्ट में 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान होने की बात कही गई थी। कैग की रिपोर्ट पर तत्कालीन विपक्ष ने भारी हंगामा मचाया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष के दबाव में आकर यह मामला सीबीआई को जांच के लिए सौप दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी हस्तक्षेप किया था। सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में जांच भी हुई थी। सीबीआई और आयकर प्रवर्तन निदेशालय ने इस प्रकरण की जांच कर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 120 बी, 420 के अंतर्गत 17 आरोपियों के खिलाफ विशेष न्यायालय में चालान पेश किया गया था। 2011 में इस केस की सुनवाई शुरू हुई थी। 6 साल बाद इसका फैसला आया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा को अपना पद छोड़ना पड़ा। उन्हें 469 दिन और कनिमोझी को 193 दिन जेल में काटनी पड़ी। इस प्रकरण में दो बड़े नौकरशाह सिद्धार्थ बेहुरा तथा आर के चंदोलिया को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। रिलायंस समूह के ऊपर भी उंगलियां उठी थी। इस प्रकरण में सीबीआई ने यूनिटेक के संजय चंद्रा, स्वान टेलीकॉम के शाहिद बलवा, उनके भाई आशिक बलवा सहित 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की अदालती कार्यवाही का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव के पूर्व और बाद में राज्यों के चुनाव में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की पूर्व मनमोहन सिंह सरकार को घोटालों की सरकार बताते हुए जबरदस्त हमले किए। इससे कांग्रेस की साख जनता की नजरों में काफी गिर गई थी । 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन घोटाले की वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के पूर्व और राज्यों के चुनाव के दौरान इतने बेहतर ढंग से मार्केटिंग की, जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा। केंद्र में 1989 के बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में बनी।
सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस फैसले से सबसे बड़ा झटका भारतीय जनता पार्टी को लगेगा। इस फैसले से भाजपा की विश्वसनीयता भी कम होगी। वहीं केंद्र सरकार को अब विपक्ष के आक्रमक हमलों का भी पूरी मुस्तैदी के साथ मुकाबला करना होगा। विशेष न्यायालय के फैसले से सबसे बड़ा नुकसान संवैधानिक संस्थाओं और केंद्रीय जांच एजेंसियों को होगा। परीक्षक महालेखाकार और नियंत्रक की कार्यप्रणाली और उनकी रिपोर्ट पर प्रश्नचिन्ह लगेगा। वर्तमान मोदी सरकार ने भी सत्ता में आने के बाद कैग की रिपोर्ट को कोई तवज्जो नहीं दी। पूर्व महानियंत्रक विनोद राय जो बीसीसीआई के प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष हैं। उन पर कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि विनोद राय और भाजपा नेताओं ने मिलकर काल्पनिक स्वरूप की ऑडिट रिपोर्ट तैयार कराकर मनमोहन सिंह सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। उसके बाद उन्हें लाभ का पद दे दिया गया। कुछ इसी तरह के आरोप सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय पर भी कांग्रेस लगा रही है। जांच एजेंसियां सरकार के इशारे पर काम करती है। इस फैसले से संवैधानिक संस्थाओं की साख धूमिल हुई है| यह सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है।
विशेष न्यायालय के इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मिली है। टू जी स्पेक्ट्रम एवं कोयला आवंटन घोटाले को लेकर विपक्ष के जितने आरोप उन पर लगे हैं। उन्हें जो अपयश झेलना पड़ा है। वह उनकी कार्यप्रणाली और उनकी ईमानदारी के विपरीत था। इस फैसले से निश्चित रूप से उनकी साख और यश में वृद्धि होगी। कांग्रेस भी पिछले 6 सालों से घोटालों का जो बोझ उठा कर चल रही थी। अब उसके कंधों से यह बोझ उतर गया है। इससे कांग्रेस को नई ऊर्जा मिलेगी। कांग्रेस ने फैसला आने के तुरंत बाद मोदी सरकार पर हमला बोला है। विनोद राय और भाजपा की संगामित्ती कांग्रेस को बदनाम करने की थी। राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद ने कहा काल्पनिक और झूठे आरोपों के कारण आज हम सत्ता से विपक्ष में बैठे हैं। और विपक्ष आज सरकार में बैठा है। उन्होंने राज्यसभा में सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। इस फैसले से तमिलनाडु की राजनीति में भी काफी परिवर्तन देखने को मिलेगें। इस फैसले से डीएमके को जहां नई ऊर्जा मिली है। वहीं ए राजा और कनिमोझी का राजनीति में पुनर्जन्म हो गया है। जयललिता के स्वर्गवास के पश्चात निश्चित रूप से डीएमके अब तमिलनाडु में काफी मजबूत होगी।
इस फैसले से सबसे ज्यादा मुश्किलें भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार की बढ़ेगी। नरेंद्र मोदी ने पिछले 4 वर्षों से घोटाले और भ्रष्टाचार की जो गठरी कांग्रेस के सिर पर लाद रखी थी, न्यायालय के आदेश से अब यह गठरी कांग्रेस के सिर से उतर गई है। भाजपा को अब अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखने का सबसे बड़ा संकट है। भ्रष्टाचार और कालेधन को लेकर लोकसभा चुनाव के पूर्व जिन मुद्दों पर नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को बुरी तरह से घेरा था। अब वही मुद्दे भाजपा के गले पड़ रहे हैं। विशेष रुप से 15 लाख रुपए गरीबों के खाते में आएंगे किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिलेगा। हर साल करोड़ों बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी। भ्रष्टाचार बंद होगा। किंतु पिछले 3 वर्षों में स्थितियों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला। उल्टे नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई और किसानों को उपज का कम मूल्य मिलना सरकार के लिए मुश्किलों को बढ़ाने वाला है। सरकार ने इस सब पर अभी चुप्पी साध रखी है। किंतु विपक्ष जिस तरह से आक्रमक हो रहा है। वहीं युवा, छात्रों और किसानों की नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह को अब अपने ही घर से उठे विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए आने वाले समय में मुश्किलें पैदा करने वाली होगी। 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन घोटाला सारे देश एवं दुनिया में प्रचारित हुआ था। न्यायालय से बरी होने के बाद भारत की जांच एजेंसियों और न्यायतंत्र के ऊपर भी विश्वास का संकट आगे चलकर देखने को मिलेगा।
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए लेखक के निजी विचार हैं। दस्तक टाइम्स उसके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।)