उत्तराखंड

20 साल बाद सात समुंदर पार से नैनीताल पहुंचे ‘थ्री इडियट्स’

friend-562c5e93d68bf_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी-उत्तराखंड: आमिर खान की ‌थ्री इडियट फिल्‍म की तरह इन तीनों की दोस्ती भी बेमिसाल है। बीस साल बाद बांग्लादेश, आस्ट्रेलिया और सिंगापुर से तीन दोस्त ‘थैंक्स नैनीताल’ कहने के लिए सरोवर नगरी पहुंचे।

यहां उन्होंने अपने प्रोफेसर, क्लास मेट और दोस्तों से मुलाकात की। कॉलेज लाइफ और नैनीताल के सैर सपाटों को तरोताजा किया। उनका मानना है कि उन्हें सफल इंसान बनाने की राह नैनीताल ने ही दिखाई थी।

सानी जुबैर संगीतकार हैं, उन्हें वेस्टर्न, इंडियन और बांग्लादेशी संगीत में महारत हासिल है। वह बांग्लादेश की फिल्मों में म्यूजिक दे चुके हैं। साथ ही, उनकी कई एलबम भी रिलीज हो चुकी हैं। कौसर खान ऑस्ट्रेलिया में वकालत करते हैं, साथ में लेखक भी हैं। सैय्यद फजले रूमी सिंगापुर में तेल कंपनी में कार्पोरेट मैनेजर हैं।

वर्ष 1992 में ढाका से सानी, कौसर और रूमी ग्रेजुएशन करने के लिए भारत आए। एडमिशन के लिए वे दिल्ली, लखनऊ और अलीगढ़ भी गए। वे यहां पढ़ाई करना चाहते थे, इसलिए टॉप या फिर एवरेज यूनिवर्सिटी को लेकर उनका कोई सवाल नहीं था।

कॉलेज की तलाश के दौरान उनकी लखनऊ में राकेश सक्सेना से मुलाकात हुई। राकेश के चाचा अल्मोड़ा कैंपस में प्रोफेसर थे। उन्होंने अपने चाचा की मदद से तीनों का एडमिशन डीएसबी कैंपस नैनीताल में करा दिया। तीनों ने 1995 में डीएसबी कैंपस से ग्रेजुएशन की।

 

रूमी कहते हैं कि शुरुआत में वे अंजुमन इस्लामिया मुसाफिर खाना मल्लीताल में रहे। उनके बगल के कमरे में डीएसबी की तीन छात्राएं सुनीता रजवार, शशि पाठक और सीमा बोरा भी रहती थीं। गांधी जयंती के दिन कॉलेज में सानी ने भजन गाया और तीनों छात्राएं भी इस कार्यक्रम के आयोजन में शामिल थीं।

इसके बाद सानी की उनसे पहचान हो गई। छात्राओं ने उनको युगमंच के संस्थापक जहूर आलम से मिलाया। नैनीताल में चहल कदमी बढ़ने पर उनकी दोस्ती कवि अशोक पांडे से हुई। अशोक पांडे के साथ उन्हें कवि त्रिलोचन शास्त्री, वीरेंद्र डंगवाल, रंगकर्मी रतन थियम, बीबी कारंत, मास्टर फिदा हुसैन, अभिनेता निर्मल पांडे से मिलने का मौका मिला।

सानी बताते हैं कि हर किसी से उन्हें कुछ न कुछ सीखने को मिला। असली राह अशोक पांडे ने दिखाई। इसके अलावा यहां उन्होंने एनएसडी की वर्कशॉप में ट्रेनिंग ली। युगमंच के साथ कई नाटक भी किए। 1995 में यहां से लौटने बाद तीनों ने ढाका यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में मास्टर डिग्री की।

सानी 1998 में वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की पढ़ाई के लिए स्वीडन चले गए। रूमी नौकरी के लिए सिंगापुर और कौसर एलएलबी करने के लिए सिडनी चले गए। तीनों का संपर्क बना रहा। इस दौरान करिअर को लेकर जब भी उनमें बातचीत होती नैनीताल का जिक्र भी होता था।

उन्होंने तय किया कि एक बार नैनीताल को थैंक्यू कहने जरूर जाएंगे। वे बताते हैं कि नैनीताल की सुंदरता और लोगों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि जब तक वे यहां रहे उन्हें कभी नहीं लगा कि वे विदेश में हैं।

कैंपस और केनफिल्ड हॉस्टल भी गए
सानी, कौसर और रूमी बुधवार शाम नैनीताल पहुंचे और शनिवार को लौट गए। इस दौरान वे डीएसबी कैंपस और हॉस्टल केनफिल्ड भी गए।

कैंपस में प्रोफेसरों से मुलाकात की। उनके दौर में केनफिल्ड के वार्डन रहे कुविवि के रजिस्ट्रार डीसी पांडे से भी मिले। उनके अलावा वे नैनीताल में जहूर आलम, जितेंद्र बिष्ट, दीपा पाठक, सुनील अग्नि, प्रदीप, अशोक पांडे से मिले। घोड़े वाले असलम भाई से भी मिलने गए मगर वह नहीं मिल पाए।

 

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