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2011 विश्व कप फाइनल में मुथैया मुरलीधरन की वजह से युवराज के पहले उतरे थे महेंद्र सिंह धोनी

धोनी ने बताया कि पहले चयनकर्ता विकेटकीपर को कप्तान बनाने के लिए सहमत नहीं थे। 1983 के बाद टीम इंडिया को पहली बार वनडे विश्व कप जिताने वाले कप्तान होने का खिताब महेंद्र सिंह धोनी के ही पास है। श्रीलंका के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैच रहे धोनी ने 91 रनों की पारी खेली।

उस मैच की खास बात ये थी कि धोनी के लिए पूरा टूर्नामेंट कुछ खास नहीं रहा था लेकिन फाइनल में कप्तान ने अपने आप को टूर्नामेंट के सबसे सफल बल्लेबाज युवराज सिंह से पहले उतारा था। उस यादगार मैच के सात साल बाद धोनी ने इस सवाल का जवाब दिया है।

धोनी ने डोंगरगांव में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “मैं श्रीलंका के ज्यादातर गेंदबाजों को जानता था क्योंकि वो पहले चेन्नई सुपरकिंग्स का हिस्सा रह चुके थे। मैने अपने आप को बल्लेबाजी क्रम में प्रमोट किया क्योंकि उस समय मुरलीधरन बल्लेबाजी कर रहा था। मैने सीएसके के लिए नेट्स में उसे काफी खेला था औप मुझे विश्वास था कि मैं उसके खिलाफ खुलकर रन बना सकता हूं। मेरे अपने आप को ऊपर भेजने का यही मुख्य कारण था।”

पिछले साल जनवरी में वनडे और टी20 फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ चुके धोनी ने बताया कि चयनकर्ता विकेटकीपर बल्लेबाज को कप्तान बनाने को लेकर सहमत नहीं थे। धोनी ने कहा, “मुझसे पहले चयनकर्ता विकेटकीपर को कप्तान बनाने को लेकर इतने ज्यादा उत्साहित नहीं थे, ये कहकर कि उसका भार बढ़ जाएगा लेकिन मैने बतौर कप्तान अपने सफल कार्यकाल से मैने उनका मत बदल दिया। कीपर किसी भी कप्तान को मैच की हालत समझाने के लिए सबसे सही पोजीशन में होता है। वो एक्शन के बेहद करीब होता है और उसी के हिसाब से टीम के लीडर को कई चीजें बता सकता है। वो कप्तान के लिए अहम होता है। वो अपने इनपुट्स के कप्तान का बोझ कम कर सकता है।”

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