जम्मूः पाकिस्तान सेना की ओर से संघर्ष विराम के रिकार्ड उल्लंघन के कारण गोलियों .मोर्टारों और गोलों की गडगडाहट से पूरे साल जम्मू कश्मीर की सरहदें गूंजती रहीं और बेकसूर 32 आम नागरिकों के लहू से धरती लाल हो गयी फिर भारतीय सेना ने ऐसा करारा जवाब दिया कि पडोसी मुल्क को संयुक्त राष्ट्र की शरण लेनी पडी। वर्ष 2014 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खलल डालने के लिए लोकतंत्र के दुश्मन दहशतगर्दो ने राज्य को दहलाने की कई कोशिशें की लेकिन उनकी इस नापाक मंशा को नाकाम करने के लिए बहादुर सुरक्षा बलों के आतंकवाद विरोधी अभियान में 110आतंकवादी मारे गये। इस दौरान सीमा और देश के नागरिकों की रक्षा करने में 51बहादुर जवानों को प्राणोत्सर्ग करना पडा। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार शहीद होने वाले जवानों की तादाद कम रही। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल एस डी गोस्वामी ने यूनीवार्ता को बताया कि वर्ष 2003 से अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर लागू संघर्ष विराम के बाद से पाकिस्तान सेना ने 2014 में रिकार्ड 562बार इस विराम का उल्लंघन किया। सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक डी के पाठक ने भी कहा कि 1971के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से पडोसी मुल्क ने पहली बार इतनी जबर्दस्त फायंरिग और गोलाबारी की है।