2016 में हैल्थ संवारेगी नई तकनीक, डिजिटल सिस्टम से होगी सेहत की रखवाली
हर इंसान चुस्त-दुरुस्त रहना चाहता है। नए साल के मौके पर हैल्थकेयर इंडस्ट्री आपके लिए खास चीजें लेकर आने वाली है। जैसे-जैसे समय गुजरेगा आपको पता लगेगा कि अब सेहतमंद रहना आपकी मुट्ठी में है। आप चाहें तो स्मार्टफोन की मदद से भी स्वस्थ रह सकते हैं। अब डॉक्टर्स के पीछे भागने की जरूरत नहीं होगी। आपको किसी भी समय, कहीं भी बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिल जाएंगी। जानते हैं इन नई तकनीकों के बारे में।
एप्स करेंगे सेहत की रखवाली
वर्ष 2015 में हम सबने देखा कि किस तरह से हैल्थ एप्स ने हमारी सेहत की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। साल 2016 में सेहत के लिए हैल्थ एप्स पर निर्भर रहने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा। इन एप्स की मदद से कहीं भी और कभी भी सेहत संबंधी सलाह ली जा सकती है। ये एप्स आपातकालीन स्थिति में काफी मददगार साबित होते हैं। जहां साल 2013 में 16 फीसदी यूजर्स के फोन में कम से कम एक हैल्थ एप हुआ करता था वहीं वर्ष 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 32 फीसदी हो चुका है। कनेक्टेड डिवाइस फिटनेस ट्रैकर तक ही सीमित नहीं रहेंगे। आने वाले समय में ईसीजी मॉनीटर, ग्लूकोज ट्रैकर, कनेक्टेड पेसमेकर का ट्रेंड रहेगा। अपरिहार्य स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ये एप्स सीधे विशेषज्ञों के साथ जानकारियां शेयर कर सकेंगे जिससे मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।
मेंटल हैल्थ पर रहेगा जोर
वर्ष 2016 में वास्तविक ब्रांड ड्रग्स के मुकाबले बायो सिमिलियर ड्रग्स का चलन बढ़ेगा जिससे दवा की कीमतों में भी कमी आएगी। हैल्थ के क्षेत्र में मेंटल हैल्थ पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा। लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक सेहत को सुधारने की दिशा में बड़े कदम उठाए जाएंगे। एक शोध के मुताबिक हर पांच में से एक अमरीकी वयस्क मानसिक रोग से ग्रसित है। सालाना खरबों रुपयों के मानसिक स्वास्थ्य के बिजनेस के और तेजी से बढऩे का अनुमान है।
वैलनेस प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ेगी
इस वर्ष 3 डी प्रिंटिंग से कृत्रिम अंगों के निर्माण में तेजी आएगी। डू इट योरसेल्फ कॉन्सेप्ट के कारण मरीजों की डॉक्टरों पर निर्भरता कम होगी और मरीज खुद अपनी समस्याओं का निदान कर पाएंगे। वैलनेस प्रोडक्ट्स की डिमांड में भी तेजी आएगी। मोबाइल फोन में हैल्थकिट, रिसर्चकिट, वर्चुअल रियलिटी, मैटेरियल साइंस जैसे एप से कॉम्बीनेशन के कारण चिकित्सा विज्ञान में बड़ा बदलाव होगा।
वर्चुअल केयर सेंटर का चलन बढ़ेगा
अगले साल मेगा हॉस्पिटल और बेडलेस हॉस्पिटल्स का ट्रेंड भी देखने को मिलेगा। नए साल में वैल्यू पर फोकस किया जाएगा और सेहत से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए कम कीमत पर इलाज पर ध्यान दिया जाएगा। नए वर्ष में वर्चुअल केयर सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक आईसीयू का चलन बढ़ेगा। डॉक्टर्स टेलीहैल्थ सेंटर से मरीजों की मदद करेंगे। मरीजों की परेशानियां जल्दी दूर होंगी जिससे तनाव कम होगा।
हर जगह फिटनेस क्लासेज
वर्ष 2016 में फिटनेस क्लासेज सबके लिए मुहैया होंगी। कई बड़ी कंपनियां और स्टार्टअप्स इस दिशा में काम कर रहे हैं कि फिटनेस क्लासेज को सबके लिए सुलभ किस तरह से बनाया जाए। इसके साथ ही वियरेबल टेक्नोलॉजी की मदद आप माइंडसेट ट्रेनिंग ले सकेंगे। इससे आप अपने फिटनेस लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले समय में छोटे-छोटे समूहों में फिटनेस की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस टे्रेनिंग में बेसिक हैल्थ से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियां शेयर की जाएंगी।
हैल्थ हो जाएगी डिजिटल
वर्ष 2016 में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर फोकस करने वाले स्टार्टअप्स अपना नजरिया बदलेंगे और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को हैल्थकेयर सेक्टर पर फोकस करेंगे। मरीज की स्थिति को देखकर मशीनें फैसला ले सकेंगे और दवा व उपचार में मदद कर सकेंगी। हैल्थकेयर इंडस्ट्री में हैल्थ आईटी, मेडिसिन-डिवाइस, बायोटेक, लाइफ साइंसेज, कन्ज्यूमर हैल्थ और वैलनेस जैसी शाखाओं पर विशेष ध्यान दिया जाने लगेगा। डिजिटल हैल्थ का बोलबाला बढ़ेगा। यही नहीं 2016 में हैल्थ इंश्योरेंस को मैनेज करने के लिए नए टूल्स विकसित होंगे और सेहत से जुड़े डाटा का आकार बढ़ेगा। हाईटेक डेटाबेस का विश्लेषण करके मरीज की बीमारी के इतिहास का तुरंत पता लगा लिया जाएगा। इससे मरीज को समय पर सही इलाज मिल सकेगा। मोटापे और डायबिटीज जैसी क्रॉनिक डिजीज से लडऩे के लिए कारगर उपाय सामने आएंगे।