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2017 में भारतीय कंपनियों ने 60 अरब डॉलर के विलय-अधिग्रहण सौदे किए

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय कंपनियों ने इस साल 60 अरब डॉलर या 4 लाख करोड़ रुपए के विलय एवं अधिग्रहण सौदे किए हैं। भारतीय कंपनियों को कुछ उल्लेखनीय बड़े सौदों और विभिन्न निजी इक्विटी निवेश के अच्छे मूल्यांकन से मदद मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्तीय दबाव की वजह से एकीकरण जरूरी है। इसके अलावा ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए बड़े कारोबार का लाभ उठाने हेतु इस तरह के सौदे जारी रहेंगे। इससे आगे भी विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलते रहने की उम्मीद है।2017 में भारतीय कंपनियों ने 60 अरब डॉलर के विलय-अधिग्रहण सौदे किए

विशेषज्ञों का मानना है कि नया साल भी विलय एवं अधिग्रहण सौदों की दृष्टि से अच्छा रहेगा। इसकी वजह राजनीतिक स्थिरता और आॢथक सुधारों की तेज रफ्तार है। इसके अलावा व्यापक रूप से वृहद कारक भी सकारात्मक नजर आते हैं। वैश्विक सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन के अनुसार जनवरी-नवम्बर, 2017 की अवधि में कुल सौदा गतिविधियां (विलय एवं अधिग्रहण) तथा निजी इक्विटी 59 अरब डॉलर रहीं। यह इससे पिछले साल की समान अवधि से 9 प्रतिशत अधिक है। पूरे साल के लिए यह आंकड़ा 60 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।

-2018 में भी विलय एवं अधिग्रहण की रफ्तार होगी सुस्त

इस तरह के सौदों पर निगाह रखने वाली मर्जरमार्कीट इंडिया के अनुसार मूल्यांकन को लेकर उम्मीदों, नियामकीय प्रक्रिया की कम समझ की वजह से विलय एवं अधिग्रहण सौदों का आंकड़ा कम है। उसका मानना है कि 2018 में भी विलय एवं अधिग्रहण की रफ्तार सुस्त रह सकती है क्योंकि 2019 चुनाव का साल है और आॢथक मोर्चे पर चीजें अभी भी सुस्त नजर आती हैं।

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