अंतरिम बजट 2019-20 मुख्यतौर पर ग्रामीण भारत पर केंद्रित रहने की संभावना है क्योंकि यह आम चुनावों से पहले का अंतिम बजट है। इस बात का डर नहीं है कि विपक्षी दल कांग्रेस की चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार किसानों के लिए देशव्यापी लोन माफ करने की घोषणा कर सकती है।
हालांकि इस मामले को हलके में नहीं लिया जा सकता क्योंकि कांग्रेस ने तीन प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने पर किसानों का लोन माफ करने के वादा कर शानदार जीत हासिल की। अपनी जीत के बाद, कांग्रेस ने अपने वादे को पूरा किया और इस बात का संकेत दिया कि लोन माफ करने वाली राजनीति अभी भी भारत में काफी प्रभावी और चर्चा में है।
किसानों को मिल सकता है बड़ा तोहफा
ग्रामीण तनाव और भाजपा सरकार को लेकर मतभेद गुजरात विधानसभा चुनावों में ही सामने आ गये थे। इसलिए, इस बात की व्यापक कल्पना की जा रही है कि अंतरिम बजट किसानों पर केंद्रित होगा और भाजपा ने देशव्यापी स्तर पर किसान लोन माफ करने का मन बनाया है।
तेलंगाना सरकार की ‘रितु बंधु’ की तरह किसान केंद्रित योजना जो कि किसानों को प्रत्यक्ष नगदी सहयोग के तौर पर 4,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति सीजन मुहैया कराती है, को लागू किया जा सकता है। तेलंगाना की योजना सभी किसानों को कवर करती है फिर उनके पास कितनी भी भूमि हो, भाजपा सरकार उड़ीसा में यह स्कीम ला सकती है जोकि छोटे एवं सीमांत किसानों (जिनके पास 5 एकड़ या 2 हेक्टेयर से कम जमीन है) को सुविधा मुहैया कराती है।
10वीं कृषि गणना 2015-16 के अनुसार, छोटे एवं सीमांत किसान जिनके पास दो हेक्टेअर से कम भूमि है, का भारत में समस्त किसानों में 86.2 प्रतिशत योगदान है और इनके पास 47.3 प्रतिशत फसल क्षेत्र है। 2014-15 तक, सकल बुवाई क्षेत्र 198.36 मिलियन हेक्टेयर अथवा लगभग496 मिलियन एकड़ था। इस तरह, छोटे एवं सीमांत किसानों के पास 234 मिलियन एकड़ की जमीन थी और 4000 रुपये प्रति एकड़ के नगदी सहयोग पर विचार करें तो कुल खर्च ~93,600 करोड़ रह सकता है।
यदि यह योजना सभी किसानों को मुहैया कराई जाती है तो कुल बोझ लगभग 198,400 करोड़ रुपये रहेगा। योजना का अंतिम वित्तीय प्रभाव केंद्र एवं राज्यों के बीच लागत विभाजन तय होने के बाद ही पता चलेगा। यदि 50 प्रतिशत वहन केंद्र सरकार करती है, तो यह छोटे एवं सीमांत किसानों को लाभ दिलाने के लिए वित्तीय बोझ में 47,000 करोड़ रुपये जोड़ेगा।
वित्त वर्ष 2020 के लिए वित्तीय समेकन लक्ष्य पर बने रहना स्पष्ट रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा जिस पर अंतरिम बजट में विचार किया जा सकता है क्योंकि सरकार के पास सीमित वित्तीय क्षेत्र है। इस तरह, वित्त वर्ष 2020 में यदि उच्च बाजार उधारी के जरिये किसी जनवादी घोषणा को वित्त पोषित किया जाता है तो इससे उच्च ब्याज दर एवं उच्च महंगाई दर के परिदृश्य को बढ़ावा मिलेगा, और यह वित्तीय क्षेत्र के लिए नकारात्मक होगा।
कंपनियों के लिए फायदेमंद नहीं रहा करों का प्रावधान
इसके अलावा, पिछले बजट में पेश किया गया लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) निवेशकों एवं वित्तीय क्षेत्र के परिदृश्य से नकारात्मक रहा है और यह सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) अदा करने के बाद दोहरे कराधान (टैक्सेशन) को बढ़ावा देता है। इस तरह, तीन साल या अधिक समय के लिए रखी जाने वाली प्रतिभूतियों पर एलटीसीजी वसूलने का कोई मतलब नहीं है।
इसी तरह डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) कॉरपोरेट कमाई पर तिहरे कराधान को बढ़ावा देता है और इसलिए प्राप्त्किर्ता पर लेवी के बजाय इससे विदड्रॉ करना ज्यादा बेहतर है। इनके अतिरिक्त स्टॉक एक्सचेंज ट्रांजेक्शन पर स्टांप ड्यूटी को खत्म करना एक लंबे समय से किया जा रहा अनुरोध है।
सरकार आयकर छूट की सीमा को भी दोगुना कर 5 लाख रुपये कर सकती है और धारा 80सी के तहत डिडक्शन लिमिट को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये किया जा सकता है ताकि बढ़त को बढ़ावा मिलेगा जो कि वित्तीय क्षेत्र के लिए सकारात्मक कदम होगा।