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2019 के लिए कांग्रेस के सबसे बड़े सियासी हथियार को मायावती ने कहा बेकार

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अलग रखकर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का फैसला किया. इसके बाद अब बसपा प्रमुख ने अपने जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस के किसान कर्जमाफी पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जबकि कांग्रेस इसी कर्जमाफी को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी सियासी बिसात बिछाने में जुटी है और नरेंद्र मोदी को मात देकर सत्ता में वापसी करना चाहती है. ऐसे में कांग्रेस के ट्रंप कार्ड पर उन्होंने अटैक करके अपनी राजनीतिक एजेंडे की लकीर खींचने की कवायद की है.

2019 के लिए कांग्रेस के सबसे बड़े सियासी हथियार को मायावती ने कहा बेकारकिसानों के सहारे सियासी जमीन तलाश रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए कर्जमाफी ट्रंप कार्ड माना जा रहा है. हाल ही में तीन राज्यों में कर्जमाफी के वादे ने कांग्रेस को तीन राज्यों की सत्ता में वापसी की राह बनी. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बनी कांग्रेस सरकार ने कर्जमाफी के वादे को सरकार बनने के फौरन बाद अमलीजामा पहनाया. कांग्रेस इसे अपनी बड़ी सफलता मान रही है.

किसानों की कर्जमाफी की जिस राह पर कांग्रेस चली है, उस पर उसे बड़ा सियासी फायदा 2019 के नजर आ रहे है. ऐसे में बसपा अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस के कर्जमाफी के गुब्बारे में सुई चुभाकर हवा निकालने की कोशिश की. मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों कर्जमाफी के नाम पर धोखा दिया है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनी, जहां उन्होंने किए गए किसानों की कर्जमाफी के नाम पर छला है. किसानों की पूर्ण कर्जमाफी की जानी चाहिए. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कर्ज लेने वाले किसानों का थोड़ा सा कर्ज माफ करने से उन्हें राहत मिलने वाली नहीं है. कर्जदार किसानों की मुश्किलें अगर खत्म नहीं हुईं तो उनकी आत्महत्याएं बंद नहीं हो पाएंगी.

मायावती ने कहा कि कहा कि किसानों की कर्जमाफी की जगह ठोस नीति बनाई जाए और किसानों के लिए आय के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू किया जाए. मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने देश में सबसे ज्यादा समय तक राज किया है. कांग्रेस की नीतियों के चलते ही देश में कई राजनीतिक पार्टियां बनी. 1984 में बसपा के बाद कई राजनीतिक दल बने, लेकिन उनकी सोच कांग्रेस से अलग नहीं. ऐसे में कांग्रेस एंड कंपनी को चुनाव में सबक सिखाएं.

दिलचस्प बात ये है मायावती कांग्रेस और उसकी नीतियों के खिलाफ सख्त तेवर अख्तियार किए हुए हैं. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बसपा सुप्रीमो को लेकर नरम नजर आ रहे हैं. सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को न शामिल किए जाने पर राहुल ने कहा था कि हम दोनों (मायावती और अखिलेश) का सम्मान करते हैं. उनके पास अपनी इच्छानुसार फैसले लेने का पूरा अधिकार है. हम निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश में लड़ेंगे और लोगों को चौंकाएंगे. कांग्रेस पार्टी अपनी विचारधारा पर चुनाव लड़ेगी.

मायावती ने इससे पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं किया था. जबकि कांग्रेस तीनों राज्यों में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती थी. मायावती ने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पर इसी तरह से जमकर हमला किया था, लेकिन नतीजे आने के बाद तीनों राज्यों में कांग्रेस को समर्थन देकर सरकार बनवाने में अहम भूमिका अदा की थी.

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