2045 तक भोपाल में पैदा होने वाले बच्चों को झेलना होगा दर्द
दस्तक टाइम्स/एजेंसी
भोपाल: भोपाल गैस प्रभावितों के लिए मुफ्त उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने वाली एक संस्था संभावना क्लीनिक द्वारा जहरीली गैस और प्रदूषित भूजल प्रभावितों के हाल ही में कराए गए एक अध्ययन में 25 हजार से अधिक ऐसे बच्चों की पहचान की गई है जिनमें जन्मजात विकृतियां पाई गई हैं। इसका असर करीबन हादसे के बाद से तीन पीढ़ी यानि औसतन साल 2045 तक रहेगा। अध्ययन के फील्ड कॉ ऑर्डिनेटर रितेश पाल ने आज यहां पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था के शोधकर्मियों ने गैसकांड और प्रदूषित भूजल प्रभावितों के 20 हजार परिवारों के एक लाख से अधिक लोगों के कराए गए अध्ययन में 25 हजार से अधिक ऐसे बच्चे है जिनमें जन्मजात विकृतियां पाई गई। इनमें देश के अलग अलग स्थानों से आए 30 चिकित्सकों ने 1700 से अधिक बच्चों को जन्मजात विकृतिग्रस्त प्रभाणित किया है।पाल ने बताया कि प्राथमिक अवलोकन से यह सामने आया है कि अपीडित आबादी के मुकाबले जहरीली गैस या प्रदूषित भूजल से प्रभावित आबादी में जन्मजात विकृतियों की दर कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अगले छह महीनों में अध्ययन के नतीजे अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जाएंगे। संस्था की एक अन्य सदस्य आफरीन ने कहा कि वे सिर्फ बच्चों की विकृति के बारे में ही जानकारी नहीं एकत्रित करती बल्कि ऐसे बच्चों को इलाज मुहैया कराने में मदद भी पहुंचा रही हैं। उनके अनुसार अब तक मंदबुद्धि, अण्डकोष की विकृति, ऊंगलियों की विकृति तथा अन्य जन्मजात विकृतियों वाले 164 बच्चों को इलाज के लिए सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सा केन्द्रों में भेजा जा चुका है। इनमें से 43 बच्चों का इलाज पूरा हो चुका है।संस्था के जन जागरूकता ग्रुप के सदस्यों ने मंडीदीप और गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र स्थित कपड़ा, दवा, प्लास्टिक और पेय पदार्थ कारखानों से होने वाले जल प्रदूषण के संबंध में दस्तावेज और फोटो इक_ा किए हैं। ग्रुप द्वारा 03 दिसंबर को भोपाल गैसकांड की 31 वीं बरसी के मौके पर एक चलित प्रदर्शनी को विद्यार्थियों में औद्योगिक प्रदूषण पर कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में ले जाया जाएगा।भोपाल: भोपाल गैस प्रभावितों के लिए मुफ्त उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने वाली एक संस्था संभावना क्लीनिक द्वारा जहरीली गैस और प्रदूषित भूजल प्रभावितों के हाल ही में कराए गए एक अध्ययन में 25 हजार से अधिक ऐसे बच्चों की पहचान की गई है जिनमें जन्मजात विकृतियां पाई गई हैं। इसका असर करीबन हादसे के बाद से तीन पीढ़ी यानि औसतन साल 2045 तक रहेगा। अध्ययन के फील्ड कॉ ऑर्डिनेटर रितेश पाल ने आज यहां पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था के शोधकर्मियों ने गैसकांड और प्रदूषित भूजल प्रभावितों के 20 हजार परिवारों के एक लाख से अधिक लोगों के कराए गए अध्ययन में 25 हजार से अधिक ऐसे बच्चे है जिनमें जन्मजात विकृतियां पाई गई। इनमें देश के अलग अलग स्थानों से आए 30 चिकित्सकों ने 1700 से अधिक बच्चों को जन्मजात विकृतिग्रस्त प्रभाणित किया है।संस्था के जन जागरूकता ग्रुप के सदस्यों ने मंडीदीप और गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र स्थित कपड़ा, दवा, प्लास्टिक और पेय पदार्थ कारखानों से होने वाले जल प्रदूषण के संबंध में दस्तावेज और फोटो इक_ा किए हैं। ग्रुप द्वारा 03 दिसंबर को भोपाल गैसकांड की 31 वीं बरसी के मौके पर एक चलित प्रदर्शनी को विद्यार्थियों में औद्योगिक प्रदूषण पर कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में ले जाया जाएगा।