21वीं सदी का पहला सबसे बड़ा चंद्रग्रहण, इस दिन ‘ब्लड मून’ बन जाएगा ‘खूबसूरत’ चांद
नई दिल्ली: खूबसूरती बयान करने के लिए किसी को ‘चांद सा रोशन, चांद का टुकड़ा’ कह दिया जाता है. यही चांद 27-28 जुलाई को खून की तरह लाल हो जाएगा. जी हां, अगर आप इस अविश्वसनीय आकाशीय घटना को देखना चाहते हैं, तो तैयार हो जाइए क्योंकि ऐसा मौका बार-बार नहीं आएगा. अगले महीने यानी 27 जुलाई से शुरू होकर व 28 जुलाई की भोर तक चंद्र ग्रहण होगा. इसे ‘ब्लड मून’ नाम दिया जा रहा है. ब्लड मून इसलिए क्योंकि चंद्रमा पूरी तरह से खून (ब्लड) की तरह गहरा लाल और कत्थई (डार्क रेड और ब्राउन) हो जाएगा. यह 21वीं सदी का पहला इतना लंबा ग्रहण होगा. यह सबसे बड़ा ब्लड मून भी होगा.
यह नजारा विभिन्न देशों, अलग-अलग क्षेत्रों के साथ अफ्रीका के कई हिस्सों, मिडिल ईस्ट, सेंट्रल एशिया के देशों में दिखेगा. इसके समय के कारण यह उत्तरी अमेरिका में नहीं दिखेगा. भारत में ब्लड मून को 6 घंटों तक देखा जा सकेगा. भारत में आप यह नजारा 27 जुलाई को रात 10 बजकर 44 मिनट से देखा जा सकेगा. और सुबह 5 बजे तक रहेगा. रात 1` बजकर 51 मिनट पर यह अपने चरम पर होगा. यानी चंद्रमा पूरी तरह से लाल और कत्थई (ब्राउन) हो जाएगा.
जानिए कब और क्यों होता है ब्लड मून
चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया पूरे चंद्रमा को ढंक लेता है लेकिन फिर सूर्य की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं. जब सूर्य की किरणे चंद्रमा पर गिरती हैं तो यह लाल दिखता है. इसी कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है. जानकार बताते हैं कि ऐसा तब होता है जब सूरज, धरती और चंद्रमा सीधी रेखा में आ जाएं. धरती से पूरा चांद छिपने पर पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है. सूरज की किरणें चंद्रमा पर पड़ती हैं. सूर्य की किरणें भर्ती के वायुमंडल से होकर गुजरती हैं. वायुमंडल से गुजरने से सूरज की किरणें बिखर जाती हैं. इसके बाद सूर्य की किरणें पड़ने के कारण चांद लाल और कत्थई दिखने लगता है.