मध्य प्रदेशराज्य

टैक्स मैनेजमेंट सिस्टम से ऑनलाइन जुडी 22 हजार पंचायत, अब वसूलेंगी 997 करोड़ का टैक्स

भोपाल : प्रदेश में पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए वहां रहने वाले लोगों से टैक्स वसूलने को लेकर शुरू की गई व्यवस्था को लेकर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने अभी सख्ती शुरू नहीं की है लेकिन इस बीच 22 हजार से अधिक पंचायतें विभाग के सेल्फ असेसमेंट टैक्स मैनेजमेंट सिस्टम से ऑनलाइन जुड़ गई हैं। इन पंचायतों के लिए 997 करोड़ रुपए से अधिक का टैक्स वसूलने की तैयारी विभाग ने की है जिसके लिए टैक्स अधिरोपण की कार्यवाही भी शुरू हो गई है। विभाग ने कहा है कि चूंकि स्वकराधान टैक्स व्यवस्था पंचायत राज में शामिल है, इसलिए पंचायतों को आत्म निर्भर बनाने के लिए टैक्स की वसूली तो देर सबेर करनी ही होगी।

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अक्टूबर में टैक्स वसूली पर जोर देने के बाद पंचायतों में इसको लेकर ग्राम सभाओं का आयोजन भी कराया गया था। शासन द्वारा भी इसके लिए निर्देश जारी किए गए थे कि कौन-कौन से टैक्स किस रूप में किस तरह के कारोबार करने वालों से वसूले जा सकते हैं। हालांकि इसके लिए तय प्रारंभिक प्रकाशन के बाद विभाग ने अभी फाइनल आदेश जारी नहीं किया है और इससे संबंधित आदेश के लिए शासन की हरी झंडी का इंतजार है लेकिन पिछले महीनों में हुई कवायद ने पंचायतों को नौ तरह की कर वसूली के लिए काफी हद तक तैयार कर दिया है।

पंचायतों ने टैक्स वसूली के लिए जो व्यवस्था लागू की है उसके अनुसार सबसे अधिक टैक्स 23.56 करोड़ रुपए जलकर के रूप में तय किया गया है। इसके अलावा स्वच्छता कर के लिए 11.60 करोड़, प्रकाश कर के लिए 50.45 लाख रुपए का टैक्स अधिरोपित किया गया है। संपत्ति कर और भवन अनुज्ञा के रूप में ज्यादा राशि अब तक नहीं वसूली जा सकी है।

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा स्वकराधान प्रणाली विकसित करने के फैसले के बाद 22038 पंचायतें आॅनलाइन हो चुकी हैं और प्रदेश के 30.67 लाख ग्रामीण करदाता टैक्स देने के लिए रजिस्टर किए गए हैं जिसमें 28.47 लाख परिवार और 4944 संस्थाएं शामिल हैं। अभी 1133 पंचायतों को ऑनलाइन किया जाना बाकी है।

विभाग द्वारा इस व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 997.39 करोड़ रुपए की कर वसूली तय की गई है जिसके विपरीत पंचायतों ने 242.77 करोड़ रुपए का टैक्स अधिरोपण टैक्स के दायरे में आने वाले परिवारों, संस्थाओं पर किया है। इसमें 4 टैक्स मूल्यांकन आधारित और 6 अन्य कैटेगरी के हैं।

इधर विभाग की ओर से टैक्स मैनेजमेंट सिस्टम के आधार पर उत्कृष्ट काम करने वाली टॉप टेन पंचायतों की रैंकिंग भी जारी करना शुरू कर दिया है। नवम्बर माह की रैंकिंग अभी जारी होना है और अक्टूबर माह की रैंकिंग में बैतूल जिले की सिरसावाड़ी पहले स्थान पर है। इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर छिंदवाड़ा जिले की पारडस्क्रागा, बोरगांव और रंगारी, पांचवें स्थान पर धार जिले की नालछा, छठे स्थान पर छिंदवाड़ा जिले की निमनी, सातवें स्थान पर सतना जिले की रिवारा, आठवें स्थान पर ग्वालियर जिले की चीनोर, नवें स्थान पर सिवनी जिले की खंडासा और दसवें स्थान पर छिंदवाड़ा जिले की घोटी ग्राम पंचायत शामिल है।

पंचायतों द्वारा जलकर, स्वच्छता कर, संपत्तिकर, टोल नाका, हाट बाजार, खनिज पर रायल्टी, पशुपालन, कांजी हाउस और प्रकाश कर की वसूली शुरू की गई है। ऑनलाइन हुई पंचायतों ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ऐसी व्यवस्था शुरू कराई है कि जिस व्यक्ति के नाम पर टैक्स के लिए नोटिस जारी किया गया है उसका नाम और नोटिस जारी करने का दिनांक के साथ टैक्स की राशि ऑनलाइन रजिस्टर की जा रही है। इसके चार से छह माह या अधिक समय बाद जब भी संबंधित टैक्सपेयर ने टैक्स का भुगतान कर दिया तो इसकी भी एंट्री कराई जा रही है। अफसरों के मुताबिक ऑनलाइन टैक्स सिस्टम लागू होने के बाद गांवों में लोगों की इस तरह की शिकायत को भी कंट्रोल किया जा सकेगा कि पंचायत सचिव या रोजगार सहायक ने जमा की गई राशि में हेरफेर किया है। साथ ही सरकार को भी जानकारी रहेगी कि आबादी के आधार पर किस पंचायत में कितनी राशि जमा की जा रही है।

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