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23 साल की उम्र में बने आईएएस, अब जिलाधिकारी का पद छोड़कर थामेंगे भाजपा का दामन

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में केवल कुछ महीने बाकी रह गए हैं। ऐसे में भाजपा को एक ऐसे आईएएस अधिकारी का साथ मिल सकता है जो अगहरिया समुदाय के लिए किसी रोल मॉडल से कम नहीं हैं। इस समुदाय का राज्य में काफी प्रभाव है। 2005 बैच के इस अधिकारी का नाम ओपी चौधरी है। 37 साल के चौधरी रायपुर के जिलाधिकारी हैं। वह केवल 23 साल की उम्र में आईएएस बन गए थे। वह जल्द ही भाजपा में शामिल होकर अपने गृहनगर रायगढ़ जिले से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। 

एक अंग्रेदी अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चौधरी पिछले दो महीनों से भाजपा में शामिल होने के लिए कई नेताओं से संपर्क में हैं। इस बात की पुष्टि कई भाजपा नेताओं ने भी की है। एक भाजपा ने बताया कि ओपी चौधरी को पार्टी युवा चेहरा बनाकर पेश करना चाहती है। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने कहा, ‘अभी तक इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन यदि कोई शामिल होना चाहता है तो उसका स्वागत है।’ 

रायगढ़ के बायंग गांव के किसान परिवार से आने वाले चौधरी को दंतेवाड़ा का जिलाधिकारी रहते हुए ‘शिक्षानगरी’ बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा दिए जाने वाले अवॉर्ड्स फॉर एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से सम्मानित किया गया था। रायपुर में उन्हें नालंदा परिसर की अगुवाई करने का श्रेय दिया जाता है। यह राज्य की राजधानी में अपनी तरह का पहला ऐसा सामुदायिक केंद्र है जहां 24X7 पढ़ाई होती है।  

चौधरी ने रायपुर में गुड समारिटियन नाम के अभियान की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत सड़क हादसों के पीड़ितों की मदद करने वाले लोगों को रेड क्रॉस फंड से 5 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मैंने छठवीं कक्षा में अंग्रेजी पढ़नी शुरू की थी। उससे पहले मुझे अंग्रेजी का ए भी नहीं पता था। हालांकि बाद में मैंने इसपर काफी मेहनत की।

8 साल की उम्र में चौधरी के पिता का निधन हो गया था। ऐसे में मां ने मेहनत करके उन्हें पढ़ाया। इसी वजह से 12वीं में ही उन्होंने आईएएस बनने का फैसला ले लिया था। पीईटी में चयन होने के बावजूद उसे छोड़ दिया क्योंकि वह खुद को जिलाधिकारी के तौर पर ही देखना चाहते थे। 23 साल की उम्र में आईएएस अधिकारी बनने और इतनी बड़ी सफलता के बावजूद वो हमेशा अपनी जमीन से जुड़े रहते हैं। इस संबंध में जब उनसे पूछा गया था तो उन्होंने कहा, ‘जैसे ही आप बड़े ओहदे पर आते हैं, आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ऐसे में आपकी परवरिश और संस्कार ही आपको जमीनी हकीकत से जोड़े रखती है। आज जमीनी हकीकत के जितने नजदीक होते हैं, उतने ही उसपर खरे उतरते हैं।’ 

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