सूक्ष्म योग क्रियाएं बैठ कर करनी चाहिए, मन को लीन करें तो पूरा लाभ मिलेगा, भोजन करते ही तुरंत ये क्रियाएं नहीं करनी चाहिए। सूक्ष्म योग क्रियाओं का संबंध शरीर के अवयवों से रहता है। इसलिए अवयवों के क्रम के अनुसार, सूक्ष्मयोग क्रियाओं का संक्षेप में विवरण यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है, जिस अवयव से सूक्ष्म योग क्रिया संबंधित है, उस अवयव पर मन को केन्द्रित करना आवश्यक है। हर क्रिया शक्ति के अनुसार 15 से 60 सेकंड तक करनी चाहिए।
– पैर की अंगुलियां तथा अंगूठे आगे तथा पीछे की और दबायें एडि़या स्थिर रखें।
– दोनों पैरों को मिलाते हुये पूरे पंजे को एड़ी सहित आगे पीछे दबाऐं
– दोनों पैरों को मिलाते हुये पूरे पंजे को एड़ी सहित गोल घुमायें।
– दोनो पैरों को थोड़ी दूरी पर रखें। दोनों पैरों के अंगूठे अन्दर की और दबाते हुये मिलाएं, फिर – दोनों पैरों के पंजे वृत्ताकार घुमाते हुये शून्य जैसी आकृति बनायें
– पैरों को सीधा रखते हुए दोनों हाथों को कमर के दोनों साईड में रखें।
– घुटनों की कपाली को दबाते एवं छोड़ते हुए आकुंचन एवं प्रसारण की क्रिया। इसके बाद दोनों हाथों की अंगुलियों को एक दूसरे में डालते हुए घुटने के नीचे जंघा को पकड़ें । फिर पैर को मोड़ते हुए नितम्ब के पास लायें और साईक्लिंग जैसी क्रिया करते हुए पैर से सामने की और से शून्य बनायें । दोनों पैरों से करें।
– दायें पैर को मोड़कर बायें जंघे पर रखें। बायें हाथ से दाएं पंजे को पकड़ें व दाएं हाथ को दाहिने घुटने पर रखें व घुटने को नीचे जमीन पर लगाने का प्रयास करें। अब दाहिने हाथ को दाएं घुटने के नीचे लगाते हुए घुटने को ऊपर उठाकर छाती से लगाएं तथा घुटने को दबाते हुए जमीन पर टिका दें। इसी प्रकार इस अभ्यास को विपरीत बायें पैर को मोड़कर दायें जंघे पर रखकर पूर्ववत करें। अन्त में दोनों हाथों से पंजों को पकड़कर घुटनों को भूमि पर स्पर्श करायें और ऊपर उठायें, इस प्रकार कई बार इसकी आवृति करें।