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240 साल बाद पहली बार काशी विश्वनाथ मंदिर में शुरू हुआ कुम्भाभिषेक, आज अंतिम दिन


वाराणसी : करीब 240 साल के नव इतिहास में पहली बार काशी पुराधिपति बाबा काशी विश्वनाथ का दरबार कुंभाभिषेक से ऊर्जित किया जा रहा है। दक्षिण भारत की तर्ज पर 4 दिन तक होने वाले इस अनुष्ठान को कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजेंद्र सरस्वती की देखरेख में करीब 200 ब्राह्मण पूरा करेंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के इंदौर की महारानी रहीं अहिल्याबाई होल्कर द्वारा कराए जीर्णोद्वार के बाद के 240 साल के नव इतिहास में पहली बार यहां श्री काशी विश्वनाथ का कुंभाभिषेक हो रहा है। सोमवार को देर शाम इन अनुष्ठान कराने वाले दक्षिण भारत के यजमान सुबू सुंदरम को विधि विधान से संकल्प दिलाया गया। इसके साथ ही अनुष्ठान शुरू हो गया। ये अनुष्ठान आज समाप्त हो जाएगा। अनुष्ठान कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजेंद्र सरस्वती की देखरेख में काशी और दक्षिण भारतीय ब्राह्मण स्वर्णशिखर से लेकर गर्भगृह तक ये अनुष्ठान संपन्न कराएंगे।

गौरतलब है कि दक्षिण भारत में हर 12 साल पर मंदिरों की सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए ये कुंभाभिषेक अनुष्ठान किया जाता है। कुंभाभिषेक में गंगा तक से कलश यात्रा शुरू होगी। बाबा के दरबार मे गंगा के जल की करीब 13 विधि से पूजा की जाएगी। 200 विद्वान ब्राह्मण मंत्रोच्चार और पूजन में सम्मिलित होंगे, पांच जुलाई तक पूजन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी। पांच जुलाई की सुबह से गंगा जल से स्वर्ण शिखर से कुंभाभिषेक की प्रक्रिया शुरू होगी। काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में यहां कुंभाभिषेक पहली बार हो रहा है।

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