अद्धयात्म

25 परिवारों की वजह से 300 हिंदू परिवार नहीं कर सकते पूजा

img_20160926051306MEDIA REPORT के मुताबिक, WEST BENGAL के एक गांव में ज्यादातर हिंदू हैं। लेकिन यहां इन लोगों को दुर्गापूजा की इजाजत नहीं है।

प्रशासन ने भी इन लोगों की दुर्गा पूजा साफ रोक लगा दी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गांव के कुछ मुस्लिम परिवारों को इस पर आपत्ति है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सूबे के बीरभूम जिले के नलहटी थाने के तहत आने वाले कंगलापहाड़ी गांव में करीब 300 हिंदू परिवार हैं जो पिछले तीन सालों से प्रशासन से गांव में दुर्गापूजा मनाने की इजाजत मांग रहे हैं। लेकिन उन्हें ये अनुमति नहीं मिल रही है। इस बार चौथे साल भी अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंगलापहाड़ी दुर्गा मंदिर कमेटी ने जिला प्रशासन के विभिन्न अधिकारियों से अनुमति मांगी है लेकिन गांव के कुछ मुस्लिम परिवारों की कथित आपत्ति के कारण उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल रही है। गांव में 25 मुस्लिम परिवार रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन कानून-व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें अनुमति नहीं देता है।
पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमारेखा के करीब स्थित रामपुरहट सब-डिविजन में आने वाले गांव की मंदिर कमेटी ने जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के अलावा सब-डिविजनल अफसर (एसडीओ), सब-डिविजन पुलिस अफसर (एसडीपीओ) एवं ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) से 1 सितंबर को दुर्गापूजा की अनुमति देने का निवेदन कर चुकी है। लेकिन अभी तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है। हालांकि बीरभूम जिले के एसपी एन सुधीर कुमार ने ऐसे किसी मामले की जानकारी होने से इनकार कर दिया। कुमार ने काह कि मुझे इस मामले के बारे में पता नहीं है।
मुझे ऐसा कुछ नहीं मिला। मेरे पास मामला आएगा तो मैं इस पर जरूर विचार करूंगा। लेकिन मंदिर कमेटी के चंदन साहू ने बताया कि उन लोगों ने 1 सितंबर को डीएम और एसपी के कार्यालय में अपना निवेदन जमा किया था और उसके बाद 23 सितंबर को उन लोगों ने दोबारा निवेदन किया लेकिन उन्हें अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
गांववालों के मुताबिक, गांव में पूजा न होने के कारण महिलाओं बच्चों समेत सभी को पूजा के लिए तीन से आठ किलोमीटर दूर दूसरों गांवों में जाना पड़ता है। चंदन साहू ने मीडिया को बताया कि मोहनलाल साहू नामक ग्रामीण दुर्गापूजा के लिए जमीन भी दान कर चुके हैं। चंदन साहू ने कहा कि हम वहां एक मिट्टी का मंदिर बनाएंगे जहां शांतिपूर्वक पूजा होगी। हमें पंडाल नहीं लगाना है। पिछले तीन सालों की तरह इस साल भी हम दुर्गा जी की प्रतिमा बना रहे हैं जो आधी बन चुकी है। 
जिले के डीएम पी मोहनगांधी ने मीडिया से कहा कि पूजा की अनुमति लेने के लिए एसडीओ के पास निवेदन किया जाता है और वही कानून-व्यवस्था की स्थिति देखते हुए इसकी अनुमति देते हैं। ध्रुब साहा नामक एक स्थानीय नागरिक ने इस मामले में कोलकाता हाईकोर्ट में भी एक अर्जी डाल रखी है जिसपर सोमवार (26 सितंबर) को सुनवाई होनी है।
 

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