लखनऊ : बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ बरसों पुरानी दुश्मनी भुलाकर गठबंधन करने के बाद अखिलेश यादव मानते हैं कि अगर नीयत साफ हो और इरादे नेक हों तो असंभव भी संभव हो सकता है। अखिलेश ने कहा, सिर्फ 25 मिनट में हमने अपनी 25 साल पुरानी दुश्मनी भुला दी। यह सब हमारी 4 जनवरी को दिल्ली में हुई मुलाकात के दौरान हुआ। यहीं हमने अपने सीट शेयरिंग फॉर्म्युले को अमली जामा पहनाया था। अखिलेश ने बताया कि मार्च 2018 में फूलपुर-गोरखपुर में बीजेपी को चुनाव हराने के बाद और 4 जनवरी दिल्ली में मुलाकात के बीच वह मायावती से सिर्फ एक बार मिले। अखिलेश ने कहा कि यह गठबंधन इतना मजबूत और प्रभावी है कि न सिर्फ केंद्र में बीजेपी सरकार को गिराएगा बल्कि राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार को भी बचाना मुश्किल होगा। अखिलेश ने कहा, गठबंधन की मजबूती के अलावा जो चीज राज्य में बीजेपी की हार सुनिश्चित करेगी, वह है किसानों की नाराजगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भले ही कई बार इस गठबंधन को निशाने पर लिया हो, लेकिन अखिलेश कहते हैं कि मुझे उकसाना इतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, मैं योगी के जितना नीचे नहीं गिर सकता, वह जिस तरह मेरे और मायावती के बारे में भाषा इस्तेमाल करते हैं, सबको पता है। अखिलेश ने खनन घोटाले की सीबीआई जांच पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया। हालांकि उन्होंने कहा, मुझे पता चला है कि सीबीआई पहले मुझे इसमें नहीं खींचना चाहती थी, लेकिन बाद में ऊपर से आदेश दिए गए कि एफआईआर में खनन आवंटन करने वाले मंत्रियों की भी जांच हो सकती है, ऐसी एक लाइन जोड़ी जाए। अखिलेश मानते हैं कि एसपी-बीएसपी के बीच बरसों पुरानी दुश्मनी का कोई असर उनकी इस नई दोस्ती की सफलता पर नहीं पडे़गा। उन्होंने कहा, हम दोनों (एसपी-बीएसपी) बरसों से एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते आए हैं। मगर अब हम साथ हैं। इसे मजबूत करने के लिए मैंने साफ कह दिया है कि मायावती जी का अपमान मेरा अपमान होगा। अखिलेश ने कन्नौज लोकसभा सीट से लड़ने के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी को अभी तय करना है कि मेरी पत्नी डिंपल यादव (वर्तमान कन्नौज सांसद) वहां से दोबारा उतरेंगी या नहीं। हालांकि पहले अखिलेश कह चुके हैं कि वह डिंपल को अगले लोकसभा चुनावों में न उतारकर परिवारवाद के आरोपों का जवाब देंगे।