25 जून को यूपी से प्रचार अभियान की शुरूआत करेंगे कोविंद
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सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने कोविंद के प्रचार का जो कार्यक्रम बनाया है उसके अनुसार कोविंद हर बड़े राज्यों में खुद जाएंगे और सहूलियत के लिहाज से छोटे राज्यों को अन्य राज्यों से जोड़कर प्रचार अभियान चलेगा।
यूपी से कोविंद के प्रचार शुरू करने के सियासी मायने
वैसे तो कोविंद के नामांकन अवसर पर राजनीतिक नेताओं का जमावड़ा कर राजग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन कर दिया है। मगर यूपी से कोविंद के प्रचार की औपचारिक शुरूआत कर भाजपा सियासी संदेश भी देना चाहती है।
राजग उम्मीदवार के रूप में कोविंद का चयन भाजपा ने 2019 के लिए यूपी की सियासी जमीन बचाए रखने की कवायद में किया है। अब पार्टी उनके प्रचार की शुरूआत यूपी से कराकर प्रदेश के पिछडे एवं दलित बिरादरी को खास संदेश देना चाहती है कि वही उनकी सच्ची हितैषी है। यहां से भाजपा पूरे हिन्दी भाषी राज्यों को राजनैतिक संदेश देगी। पार्टी नेता अपरोक्ष रूप से कोविंद के दलित बिरादरी से होने की बात को हिन्दी भाषी राज्यों में खूब प्रचारित करेंगे।
भाजपा नेता कोविंद के पक्ष में बढ़ते राजनैतिक समर्थन का बेशक उदाहरण दे रहे हैं। लेकिन कोविंद के नामांकन अवसर पर शिवसेना की कमी साफ देखी गई है। कोविंद को समर्थन के ऐलान के बाद भी नामांकन के अवसर पर शिवसेना का कोई नुमाइंदा मौजूद नहीं था। इसे दोनों दलों के बीच चल रही तल्लखी से जोड़कर देखा जा रहा है।
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नामांकन अवसर पर किसी नेता के उपलब्ध नहीं रहने पर शिवसेना ने स्पष्ट कहा है कि उसे इसकी सूचना नहीं थी। उसके सदस्यों ने पहले पहुंचकर कोविंद के नामांकन पत्र पर समर्थन के हस्ताक्षर कर दिए हैं। भाजपा के एक महासचिव का भी कहना है कि मामले में संवादहिनता रही है। शिवसेना को नामांकन कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी जा सकी है।
दरअसल शिवसेना ने भाजपा उम्मीदवार का बेशक समर्थन कर दिया है। मगर दोनों दलों के बीच रिश्तों में फंसी पेंच अभी सुलझ नहीं पाई है। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात के बावजूद दोनों दलों के रिश्तों में अभी झोल है।
सूत्र बताते हैं कि उद्धव से मुलाकात कर शाह ने उनसे आग्रह किया था कि वे उम्मीदवार चयन का अधिकार पीएम मोदी पर छोड़कर समर्थन का एलान कर दें। मगर उद्धव ने शाह के आग्रह को इंकार करते हुए कहा था कि पहले आप उम्मीदवार का नाम बताएं तब समर्थन मिलेगा। हालांकि कोविंद का नाम सामने आने के बाद शिवसेना ने समर्थन देने का ऐलान तो कर दिया है। लेकिन मुखपत्र सामना के जरिए भाजपा पर हमले जारी हैं।