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2500 साल पुरानी ‘खिचड़ी’ भगवान शिव से शुरू हुई थी आज है गिनीज बुक का हिस्सा

वैसे तो भारत अपनी विविधता के लिए विश्वविख्यात है; कदम कदम पर भाषा, खान-पान, पहनावा सब बदलता रहता है, परंतु खिचड़ी का त्यौहार पूरे भारत देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से भारत में पहला त्यौहार है ‘खिचड़ी’ ही हैं। आपको पूरे भारत में अलग-अलग नामो से पुकारी जाने वाली खिचड़ी मिलेंगे और इसका स्वाद आपको किसी भी छप्पन भोग का स्वाद भुला सकता है।

सबके दिल को छूने वाली खिचड़ी का जन्म कैसे हुआ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव ने खिचड़ी बनाई थी। इसी के साथ इस दिन खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान को तिल भी अर्पित किए जाते हैं साथ ही इस दिन पतंग उड़ाना भी शुभ माना जाता है। संक्रांति के दिन गंगा नदी के तट पर एक अलग ही आध्यात्मिक उघम का अनुभव करने को मिलता है जब लोग ठंडे पानी से नाहा कर मिट्टी के बरतन में खिचड़ी बनाकर, केले के पत्ते पर खिचड़ी खाते मिलते हैं। खिचड़ी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के ‘खिच्चा’ शब्द से हुई हैं।

इतिहास में भी मिलता है खिचड़ी का उल्लेख:
अगर इतिहास के कुछ पन्नो में खंगाला जाए तो किसी पुरानी इमारत और सभ्यता की तरह ही खिचड़ी के अवशेष देखने को मिलते हैं। करीब 1350 में भारत आए मोरक्को के इब्ने बतूता ने भी चावल और मूंग की दाल से बनी खिचड़ी की तारीफ की थी। 16वी शताब्दी में मुगल बादशाह जहांगीर भी खिचड़ी खाकर इसके मुरीद हो गए थे।

खिचड़ी को कैसे मिल ग्लोबल डिशेज़ में स्थान-
ग्लोबल फ़ूड एक्सपो द्वारा साल 2017 में आयोजित वर्ल्ड फ़ूड इंडिया में खिचड़ी को भारत की ओर से सुपर फ़ूड का स्थान दिया गया।

क्यों मिला गिनीज बुक में स्थान-
हिम्मचल प्रदेश के तत्तापानी में 1995 किलो खिचड़ी एक साथ बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया और तभी से खिचड़ी गिनीज बुक में दर्ज है। इस खिचड़ी को बनाने में 405 किलो बासमती चावल, 105 किलो दाल, 55 किलो मसाले, 90 किलो घी और 1100 लीटर पानी का इस्तेमाल किया गया। इस खिचड़ी को बनाने में 25 शेफ लगे। साथ ही इसका मजा पूरे 20 हजार लोगों ने उठाया। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस खिचड़ी ने देश के मशहूर शेफ संजीव कपूर के 918.8 किलो खिचड़ी के रिकॉर्ड को तोड़कर अपना स्थान बनाया है।

फायदों से लबरेज़ होती है मूंग और चावल की लिबलिसी खिचड़ी-
प्रोटीन रिच मूंग की दाल, फाइबर्स-कार्ब्स से युक्त चावल, हेल्थी फैट्स वाला शुद्ध देसी घी और सब्जियों का विटामिन्स और मिनिरल्स भरा समावेश खिचड़ी को सुपर फ़ूड बनाता हैं। अक्सर डॉक्टरों के द्वारा मूंग की खिचड़ी को गाला कर बनाने को कहा जाता है जिससे ये आसानी से पच जाए और अपने अपार न्यूट्रिशनस को आसानी से आपके शरीर में रिलीज़ कर दे। आसानी से बनने वाला, कई समस्याओं में कारगर सिद्ध होता है खिचड़ी का सेवन।

बदलता स्वाद-
खिचड़ी को कई तरह से बनाया जाता है जैसे हरियाणा की बाजरा और मूंग दाल की खिचड़ी बड़ी प्रसिद्ध है। वही नार्थ ईस्ट में उरद दाल और चावल की खिचड़ी जीरे के छौंके के साथ बनाई जाती है। खिचड़ी को दही-वड़े, प्याज, लहसुन-मिर्च की चटनी, भुने आलू और आचार के साथ परोसा जाता है। अगर बात करे पंजाब की तो यहां अरहर की दाल और चावल से बनी मसाला खिचड़ी को अचार, पापड़ और दही के साथ-साथ घी के साथ परोसा जाता है। अगर बंगाल की ओर चले तो यहां दाल और चावल के साथ सब्जिया; गोभी, आलू, टमाटर, मटर, गाजर…आदि के साथ खिचड़ी को बनाया जाता है। साउथ इंडिया में इस दिन अलग-अलग मंदिर में कई प्रकार से खिचड़ी बनाई जाती है और प्रसाद स्वरूप में बाटी जाती है। गुजरात में खिचड़ी कढ़ी के साथ, मध्यप्रदेश में कई दालों जैसे- अरहर, उरद, मसूर, चना, मूंग और चावल से बनाई जाती है। बिहार की खिचड़ी सबसे अलग गरम मसालों, मिर्च, आदि से लबरेज़ होती है। बिहारी लोग चटनी, मसालेदार दही फुल्के, छाछ और आम के अचार के साथ खिचड़ी खाना पसंद करते हैं।

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