अचानक शुरू हुई गोलाबारी से वह काफी डर गईं थी। इस दौरान उनके पैर में गोली भी लगी थी। लेकिन किस्मत अच्छी थी कि वह इसके बावजूद वह गईं। उन्होंने बताया कि आतंकी अजमल कसाब लोगों पर गोलीबारी कर रहा था।
बता दें कि 26 नवंबर 2008 को लश्कर ए तैयबा के कुछ आतंकी समुंद्र के रास्ते मुंबई में घुस आए थे। इस दौरान आतंकियों ने लोगों पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले में आतंकियों ने 166 लोगों को मार गिराया था जबकि काफी संख्या में लोग घायल हो गए थे।
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वह डर गए और सिर्फ प्रार्थना करने लगे
वहीं एक और प्रत्यक्षदर्शी दिलीप मेहता बताते हैं कि उस दिन वह मुंबई के ताजमहल होटल में एक कॉन्फ्रेंस के लिए पहुंचे थे। उस समय रात के करीब 9 बजे थे। तभी उन्हें जानकारी मिली की होटल में आतंकियों ने अटैक कर दिया है। वह बताते हैं कि कुछ ही देर में बम फटने की आवाजें आने लगीं। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह काफी डर गए और सिर्फ ईश्वर से प्रार्थना करने लगे।
वह होटल के 21वें तल पर फंसे थे। आतंकी प्रथम तल पर गोलीबारी कर रहे थे। यह उनके लिए बहुत मुश्किल था। वह बताते हैं कि आज भी उन्हें उस दिन का एक एक पल याद है। लेकिन वह ईश्वर की कृपा से बच नकले। उन्होंने कहा कि अब वह खुश हैं कि पहले से हालात काफी सुधर गए हैं। सिक्योरिटी के हिसाब से अब काफी सुरक्षित महसूस करते हैं।