26/11 में पाकिस्तान – लश्कर ए तैयबा के संबंध को नकार नहीं सकते : अमेरिकी सीनेटर
वॉशिंगटन: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के एक हालिया साक्षात्कार में लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी समूहों को पाकिस्तान की ओर से सहयोग मिलने की बात स्वीकारी थी। वहीं मुशर्रफ के इस बयान परअमेरिका के एक शीर्ष सीनेटर ने कहा है कि यह टिप्पणी ‘‘हैरान करने वाली नहीं’’ है कि इस्लामाबाद ने लश्कर जैसे आतंकी समूहों को आसरा दिया था। साथ ही सीनेटर ने कहा कि उन्हें लगता है कि अब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व में देश एक अलग दिशा अपना रहा है ।
डेमोक्रेटिक सीनेटर टिम कैनी ने एक नाश्ता बैठक में कहा ‘मैं यह सुनकर हैरान नहीं हूं कि अतीत में पाकिस्तान ने लश्कर ए तैयबा का समर्थन और सहयोग किया। मेरा मानना है कि साल 2008 के मुंबई हमलों के मामले में पाकिस्तान सरकार के कुछ पहलुओं और लश्कर ए तैयबा के बीच संबंधों के बारे में सबूतों को नकारना काफी मुश्किल है।’
मुंबई हमलों से संबंधित स्थलों का दौरा कर चुके कैनी ने कहा ‘जब आप खुफिया सूचना पर गौर करेंगे और विचार करेंगे तब ये सवाल उठेंगे कि संबंध किस ऊपरी स्तर तक के थे और आधिकारिक तौर पर उन्हें कैसे स्वीकृति दी गई। लेकिन पाकिस्तान सरकार और लश्कर ए तैयबा के बीच निश्चित तौर पर संबंध थे।’
कार्रवाई के लिए कोई समयसीमा नहीं
इससे पहले अमेरिका ने कहा है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस में हुई बैठक में लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई समयसीमा नहीं तय की गई।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से कहा, हम पाकिस्तान को कोई ऐसी कोई समयसीमा नहीं बता रहे हैं, जिसके तहत वे उसके या किसी अन्य आतंकी समूह के खिलाफ कार्रवाई करेंगे अथवा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि उनको पता है कि ये गंभीर खतरे हैं। हम अवगत हैं कि उनको यह भी पता है कि यह मामला न सिर्फ क्षेत्र, बल्कि पूरी दुनिया के लिए कितना महत्व रखता है। यह कठिन समस्या है।