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27 को ऑनलाइन नीलामी में बिकेगा माल्या का किंगफिशर हाउस…

मुंबई । भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (केएएल) के मुंबई स्थित पूर्व मुख्यालय ‘द किंगफिशर हाउस’ को नीलाम करने की फिर कोशिश की जा रही है। माल्या की इस संपत्ति को पिछले तीन साल में नीलाम करने का यह आठवां प्रयास होगा। कर्ज वसूल करने वाला बेंगलुरु स्थित नियामक डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) ने इस नीलामी को आगामी 27 नवंबर को कराने का एलान किया है। सरकार की ओर से जब्त की जा चुकी इस संपत्ति ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया के तहत मौजूदा आलीशान इमारत के रिजर्व प्राइस कम निर्धारित किए गए हैं। ताकि सालों से नीलाम न हो पा रही इस संपत्ति को बेचकर विजय माल्या के बैंक घोटाले से हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिल सके। आठवीं बार हो रही नीलामी इस संपत्ति की कीमत महज 54 करोड़ रुपये ही तय की गई है। यह इसकी मूल कीमत में साठ फीसद की गिरावट है। पहली बार जब ‘किंगफिशर हाउस’ को नीलाम करने का प्रयास किया गया था तो वर्ष 2016 में उसकी कुल कीमत 150 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

पहली बार थी 135 करोड़ की बोली: मुंबई स्थित ‘किंगफिशर हाउस’ को नीलाम करने के लिए पहली बार वर्ष 2016 में कर्ज वसूल करने वाला बेंगलुरु स्थित नियामक डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) ने इसकी बोली यानी रिजर्व प्राइस 135 करोड़ रुपये तय की थी। जबकि पिछली बार (सातवीं बार) बोली 2018 में केवल 75 करोड़ रुपये की लगाई थी। इस संपत्ति का जो भी संभावित खरीददार होगा उसे इस रकम के अलावा, 1.55 करोड़ रुपये का तीन साल से बकाया संपत्ति कर भी बीएमसी को चुकाना होगा। पूर्व राज्यसभा सदस्य विजय माल्या वर्ष 2016 की शुरुआत में ही देश से फरार हो गया था। तब से वह लंदन में रह रहा है।

मुंबई एयरपोर्ट के सामने है संपत्ति : मुंबई स्थित ‘किंगफिशर हाउस’ का असली नाम ‘पैराडाइम’ था। इस इमारत में बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर, अपर ग्राउंड फ्लोर और अपर फ्लोर है। यह सभी अब बिकाऊ हैं। यह पूरी संपत्ति 1,586 वर्ग मीटर की है। इसके ठीक बाहर छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है। उल्लेखनीय है कि यह बिक्री स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह वाले कई भारतीय बैंकों की बकाया रकम 6,203 और वर्ष 2013 से उसके ब्याज को वसूलने के लिए की जा रही है।

इमारत के पास है अत्यधिक अतिक्रमण : विशेषज्ञों का कहना है कि इस संपत्ति को बेचने में अत्यधिक मुश्किल इसलिए हो रही है, क्योंकि इसके आसपास अत्यधिक अतिक्रमण किया गया है। यह अतिक्रमण करीब 725 वर्ग मीटर क्षेत्र में है। इससे इसका कुल बिकाऊ क्षेत्रफल महज 1,677 वर्ग मीटर रह जाता है। संभावित खरीददारों के इस संपत्ति से दूर भागने का दूसरा कारण यह भी है कि यहां पुनर्निर्माण की गुंजाइश या भविष्य की योजनाओं के अनुरूप फेरबदल की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है। देश के सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डे के आसपास इमारत की ऊंचाई नहीं बढ़ाई जा सकती। फिर भी रियल्टी बाजार के जानकारों का कहना है कि ऐसी संपत्तियों के रिजर्व प्राइस को इस हद तक कम करना प्रमुख संपत्ति को खराब छवि देता है। भविष्य में खरीददार ऐसी संपत्ति से बचने लगते हैं।

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